वोडाफोन की अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रक्रिया के खिलाफ केंद्र की याचिका खारिज

नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दूरसंचार कंपनी वोडाफोन से कर मांग से जुड़े एक मामले में केंद्र सरकार की याचिका खारिज कर दी। इस मामले में वोडाफोन ने भारत-ब्रिटेन निवेश संरक्षण संधि के तहत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अधिकरण के सामने सरकार के खिलाफ एक और मामला चलाने की चाल चल दी है। केंद्र सरकार और वोडाफोन के बीच 2012 में पिछली तिथि से लागू किए गए एक कानून के तहत 11,000 करोड़ रुपये की इस कर मांग को लेकर विवाद बना हुआ है। कंपनी ने भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश संरक्षण संधि के तहत इस मामले को अंतराष्ट्रीय मध्यस्था अधिकरण में उठाया है।

न्यायमूर्ति मनमोहन ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि केंद्र सरकार चाहे तो कंपनी के खिलाफ अंतराष्ट्रीय पंच निर्णय ‘प्रक्रिया के दुरुपयोग’ का मामला भारत-ब्रिटेन बीपा अधिकरण के समक्ष मुद्दा उठा सकती है। वोडाफोन ने इस मामले में भारत-नीदरलैंड द्विपक्षीय निवेश सुरक्षा समझौते के तहत मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू कर रखी है जो लंबित है। यह मामला वोडाफोन द्वारा 11 अरब डॉलर में हचिसन टेलीकॉम की हिस्सेदारी का अधिग्रहण किए जाने के सौदे से पर पीछे की तारीख से लागू किए गए एक संशोधित कर कानून के तहत कर की मांग से जुड़ा है।

भारत-नीदरलैंड द्विपक्षीय निवेश सुरक्षा समझौते के तहत मध्यस्थता प्रक्रिया के लंबित रहते हुए कंपनी ने 24 जनवरी 2017 को भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश सुरक्षा समझौते के तहत दूसरी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रक्रिया भी शुरु कर दी। इसके विरोध में केंद्र सरकार ने अदालत से कहा कि वोडाफोन समूह ने दो मध्यस्थता प्रक्रिया शुरु करके कानून की प्रक्रिया का दुरूपयोग किया है। दूसरी मध्यस्थता प्रक्रिया को चुनौती देते हुए सरकार ने कहा कि दो अलग-अलग निवेश संधियों के तहत गठित दो अलग अधिकरणों से एक ही राष्ट्र के खिलाफ ऐसे मामले में समान राहत की मांग की गई है जो समान कार्रवाई पर आधारित हैं।

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