नोटबंदी की वजह से 1.52 लाख कैज़ुअल वर्करों का छिना रोजगार: लेबर ब्यूरो

नोटबंदी की मार इस साल सबसे ज्यादा कैज़ुअल वर्करों पर देखने को मिली है। सरकार ने पिछले साल 8 नवबंर को 500 और 1000 के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। लेबर ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल नोटबंदी के चलते कम से कम 1.52 लाख के करीब कैज़ुअल वर्करों ने अपनी नौकरियां गवांई हैं। लेबर ब्यूरो की यह रिपोर्ट आईटी, ट्रांसपोर्ट और मैनुफैक्चरिंग समेत 8 सेक्टरों पर आधारित है। ब्यूरो ने यह आकंडें 1 अक्टूबर 2016 से 1 जनवरी 2017 के बीच गई नौकरियों के आधार पर पेश किया है।

सर्वे के मुताबिक जहां फुल-टाईम वर्करों की संख्या में 1.68 लाख का इज़ाफा हुआ है वहीं 46,000 पार्ट-टाईम वर्करों की सख्यां में कमी आई है। अक्टूबर से दिसंबर के दौरान कॉन्ट्रैक्ट और नियमित नौकरियों में क्रमश: 1.24 लाख और 1.3 9 लाख की बढ़ोतरी देखी गई। पिछली तिमाही (जुलाई-सितंबर) में आठ सेक्टरों में 1.22 लाख की वृद्धि हुई, जो आर्थिक गतिविधि, जेंडर, कार्यकर्ता प्रकार के,एंप्लॉयीड या सेल्फ एंप्लॉयीड, रोजगार की स्थिति (रेगुलर,कॉन्ट्रैक्टुअल और कैज़ुअल ) और काम की अवधि ( फुल-टाईम या फुल-टाईम) इन पर आधारित थी।

मैनुफैक्चरिंग, व्यापार, ट्रांसपोर्ट, आईटी-बीपीओ, शिक्षा और स्वास्थ्य ने 1.23 लाख श्रमिकों की अनुमानित वृद्धि के साथ योगदान दिया जबकि कंस्ट्रक्शन सेक्टर में गिरावट देखी गई। आवास और रेस्तरां क्षेत्र में कोई परिवर्तन देखने को नहीम मिला है। रोजगार के अवसरों में शामिल क्षेत्रों में मैनुफैक्चरिंग, व्यापार, परिवहन, आईटी / बीपीओ, शिक्षा और स्वास्थ्य शामिल हैं। 1.22 लाख रोजगार में महिलाओं की संख्या 52,000 और पुरुषों की संख्या 70,000 है। जबकि सेल्फ एंप्लॉयीड सेक्टर में 11,000 की बढ़त देखी गई।

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