करोड़ों के ग्रीन टैक्स की उगाही, कब मिलेगी प्रदूषण से मुक्ति

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली

राजधानी में प्रवेश करने वाले कमर्शल वाहनों से ग्रीन टैक्स लेने का मसला फिर से गरमा रहा है। दिल्ली सरकार से पूछा जा रहा है कि वह पिछले दो साल से वाहनों से कमर्शल टैक्स वसूल रही है, वह यह बताए कि इस टैक्स से राजधानी को प्रदूषण से बचाने के लिए क्या उपाय किए गए। इस बाबत ट्रांसपोर्टर्स सरकार से पहले भी जानकारी ले चुके हैं। उन्हें जबाव का इंतजार है।

दो साल पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली सरकार ने राजधानी में प्रवेश करने वाले कमर्शल वाहनों से ग्रीन टैक्स वसूलना शुरू किया था। कोर्ट ने सरकार को यह भी आदेश दिया था कि वह इस टैक्स को राजधानी का प्रदूषण कम करने के लिए इस्तेमाल करे। इस ग्रीन टैक्स के तहत छोटे कमर्शल वाहनों से 1400 रुपये और बड़े वाहनों से 2600 रुपये वसूले जा रहे हैं। अगर कमर्शल वाहन खाली भी दिल्ली में प्रवेश करता है तो उससे भी क्रमश: 700 और 1400 रुपये वसूले जा रहे हैं। ट्रांसपोर्टर्स पहले भी सरकार से पूछ चुके हैं कि वह इस बात की जानकारी तो दे कि उनसे वसूले जाने इस ग्रीन टैक्स का किस मद में इस्तेमाल किया जा रहा है।

दिल्ली गुड्स ट्रांसपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के अनुसार जब यह टैक्स लगना शुरू हुआ था, उस वक्त राजधानी में रोजाना एक लाख कमर्शल वाहन प्रवेश करते थे। चूंकि नौ माह पहले कुंडल-मानेसर-पलवल हाई-वे शुरू हो चुका है तो अब वाहनों की संख्या घटकर साठ से सत्तर हजार रह गई है। आर्गनाइजेशन के अध्यक्ष राजेंद्र कपूर के अनुसार हम पहले भी सरकार से यह पूछ चुके हैं कि वह यह तो बताए कि इस टैक्स से उगाही कर वह पर्यावरण के लिए खर्च कर रही है या नहीं। कपूर का कहना है कि सरकार के राजस्व में करोड़ों रुपये इस मद में आ चुका है, लेकिन इस बाबत कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। उनका कहना है कि हम सरकार से यह भी गुजारिश कर चुके हैं कि वह कोर्ट से गुजारिश करे कि इस टैक्स को वसूलना अब बंद किया जाए, लेकिन सरकार इस मसले पर चुप बैठी हुई है। उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्टर्स पहले ही जीएसटी व अन्य परेशानियों से जूझ रहा है, ऐसे में ग्रीन टैक्स उसकी परेशानियों को और बढ़ा रहा है। ट्रांसपोर्टरों की मांग है कि सरकार यह बताए कि इस टैक्स का किस मद में इस्तेमाल हो रहा है, दूसरी गुजारिश है कि अब इस टैक्स को बंद करने के बारे में सोचा जाना चाहिए।

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