फायरिंग लाइन में राजनीति

संसद में स्मृति ईरानी ने किसी को नहीं बख्शा। पुराने दुश्मन तो थे ही निशानों की कतार में, नए दुश्मन भी तड़ातड़ और धड़ाधड़ गोलीबारी के दायरे में आ गए। राज्यसभा में निशाने पर आईं मायावती। मायावती की अपनी मजबूरी थी। आखिर रोहित वेमुला को दलित के तौर पर पेश किया गया था। उधर स्मृति ईरानी पूरे रौ में थीं, और बात सिर देने तक आ गई। भैनजी को बहस का उतना शौक नहीं है, लिहाजा जवाब देने के लिए ये सिर मांग लेने वाला मुद्दा फिट लगा। स्मृति ईरानी इसका जवाब देने उठीं, लेकिन अरुण जेटली और वेंकैया नायडू ने इशारा करके रोक लिया। यूपी में चुनाव आ रहे हैं, और कौन जाने कब किस मोड़ पर भैनजी की जरूरत पड़ जाए। और दूसरे जो बीजेपी से भिड़ लेगा, यूपी में वही सच्चा सेक्युलर हो जाता है। तो बीजेपी यह तमगा बहुत सोच-समझकर ही पहनाएगी। हालांकि लोकसभा में प्रधानमंत्री ने मुलायम सिंह को बहुत हल्का सा छेड़ कर कुछ तो इशारा किया था। लेकिन इतना भी नहीं कि मुलायम सिंह को निशाने पर लिया माना जा सके।   माने हसीना मान जाएगी !   बीजेपी इस समय वो हसीना है, जिससे प्यार जताने और दुश्मनी जताने में ही सभी…

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