ट्रंप के नक्शेकदम पर आगे बढ़ रहा है ब्रिटेन, रूस के साथ गुपचुप संंबंध सुधारने की कोशिश

लंदन
अमेरिका और ब्रिटेन के अंदर बस थोड़ा आगे-पीछे ही सत्ता में बदलाव हुआ। पिछले काफी समय से इन दोनों देशों के रूस के साथ रिश्ते सहज नहीं हैं, लेकिन बात जब अमेरिका और ब्रिटेन के आपसी संबंधों की हो, तो दोनों एक-दूसरे के बेहद नजदीकी सहयोगी माने जाते हैं। लगता है कि रूस को लेकर इन दोनों सहयोगियों की सोच भी एकसाथ ही बदल गई है। पहले जहां ट्रंप ने रूस के साथ रिश्ते बेहतर करने की जरूरत पर जोर दिया था, वहीं अब ब्रिटेन भी इसी दिशा में कोशिश करता हुआ नजर आ रहा है।

चुनाव अभियान के समय राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रूस के साथ संबंध सुधारने की इच्छा जताते हुए दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों को एक-दूसरे के हित में बताया था। फिर सरकार में आने के बाद, या फिर यूं कहें कि ट्रंप के चुनाव जीतने के फौरन बाद ही, उनके और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की नजदीकियों को लेकर विवाद शुरू हो गया। आरोप लगा कि रूस ने डेमोक्रैटिक उम्मीदवार हिलरी क्लिंटन को हराने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को प्रभावित करने की कोशिश की और ट्रंप को फायदा पहुंचाया। अभी इस मामले की जांच हो रही है। ट्रंप भले खुद रूस के साथ संबंध सुधारने को लेकर काफी सकारात्मक नजरिया रखते हों, लेकिन रक्षा सचिव जनरल जेम्स मैटिस और टिलरसन सहित ट्रंप प्रशासन के कई सदस्यों ने रूस को लेकर सख्त रुख दिखाया है। एक संभावना यह भी है कि ट्रंप टीम के सदस्यों की रूस के साथ संपर्कों को लेकर चल रही जांच के मद्देनजर यह सख्ती दिखाई जा रही हो। माना जा रहा है कि एक बार यह जांच खत्म हो जाने पर ट्रंप फिर से रूस के साथ संबंध मजबूत करने की रणनीति पर काम शुरू करेंगे।

जानकारी मिली है कि ब्रिटेन चुपचाप रूस के साथ अपने संबंधों को सुधारने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ‘द इंडिपेंडेंट’ अखबार से बात करते हुए पश्चिमी यूरोप के एक वरिष्ठ राजनयिक ने बताया, ‘भविष्य में ट्रंप प्रशासन के बदले रुख के मुताबिक ही ब्रिटेन को रूस के साथ अपने संबंधों की शक्ल तय करनी पड़ेगी। हमें लगता है कि पहले जहां रूस को लेकर ब्रिटेन का रवैया बहुत कट्टर और दृढ़ था, वहीं अब ब्रिटेन व्यावहारिक नजरिया अपनाएगा।’ राजनयिक ने आगे कहा, ‘मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीका में रूस की बढ़ती मौजूदगी के मद्देनजर यह जरूरी भी है। ऐसा नहीं कि हम अब रूस द्वारा यूक्रेन से क्रीमिया को अलग करने जैसी चीजों के खिलाफ नहीं हैं। हम अब भी इसकी निंदा करते हैं, लेकिन साथ ही साथ हम यह भी जानते हैं कि हमें रूस के साथ बातचीत करने की जरूरत है।’

ब्रिटिश सरकार मॉस्को के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार कर इसे ठोस करने की रणनीति पर काम कर रही है। इसपर टिप्पणी करते हुए एक अन्य यूरोपीय राजनयिक ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि ब्रिटेन इसपर अपना रुख साफ करेगा। उसे भी पता है कि उन्हें रूस के साथ अपने रिश्ते सुधारने हैं। शायद ऐसा बस इसलिए होगा कि अमेरिका भी आने वाले दिनों में यही करने जा रहा है। ब्रेग्जिट के बाद तो ब्रिटेन के लिए यह ज्यादा अहम हो जाएगा। हमने देखा है कि कई मुद्दों पर ट्रंप प्रशासन जैसी प्रतिक्रिया देता है, उसी सुर में ब्रिटेन भी बात करता है।’ जानकारी के मुताबिक, ब्रिटिश सरकार ने इस सिलसिले में रूस से बात करने की कोशिश की है और ऐसा ट्रंप प्रशासन के कार्यकार संभालने के बाद हुआ है। इससे पहले मार्च में ब्रिटिश विदेश सचिव बोरिस जॉनसन ने रूस दौरे पर जाने की घोषणा की थी। पांच साल बाद कोई ब्रिटिश सचिव रूस के आधिकारिक दौरे पर जाने वाला था, लेकिन फिर NATO के विदेश मंत्रियों की एक बैठक के कारण जॉनसन का यह दौरा रद्द हो गया। माना जा रहा है कि अगले कुछ समय में इस दौरे का कार्यक्रम दोबारा तय किया जा सकता है।

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