USL डील से जुड़े सभी दस्तावेजों की जांच करेगी सेबी

रीना जकारिया & कला विजयराघवन, मुंबई
सेबी ने विजय माल्या के डियाजियो और यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड (यूएसएल) से जुड़े सभी कॉन्ट्रैक्ट्स की विस्तार से जांच शुरू कर दी है। सेबी इसकी भी जांच करेगी कि इस साल की शुरुआत में माल्या को यूएसएल का चेयरमैन पद छोड़ने के लिए डियाजियो ने 7.5 करोड़ डॉलर देने का जो वादा किया था, क्या वह ऑरिजनल अग्रीमेंट में शामिल था? अगर यह इस अग्रीमेंट का हिस्सा था तो क्या ओपन ऑफर प्राइस तय करते वक्त इसका ध्यान रखा गया था। यह जानकारी सेबी के एक सीनियर ऑफिसर ने दी है। ब्रिटिश शराब कंपनी डियाजियो ने माल्या से 2014 में यूएसएल को खरीदा था।

सेबी यह भी पता लगाएगी कि यूएसएल के बोर्ड ने कॉर्पोरेट गवर्नेंस रूल्स तोड़े हैं या नहीं। वह माल्या ग्रुप की कंपनियों को फंड डायवर्ट करने के आरोपों की भी पड़ताल करेगा। सेबी के अफसर ने बताया कि सेबी ने ब्रिटिश फाइनैंशल कंडक्ट अथॉरिटी (एफसीए) से माल्या से जुड़ी कंपनियों द्वारा कथित राउंड ट्रिपिंग के एक पुराने मामले से जुड़ी सूचनाएं भी मांगी हैं। माल्या ने इस मामले में इकनॉमिक टाइम्स के सवालों का जवाब नहीं दिया। डियाजियो-यूएसएल डील के नवंबर 2012 के ऑरिजनल परचेस अग्रीमेंट की जांच करने के साथ सेबी यूएसएल के फाइनैंशल स्टेटमेंट्स पर इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स और ऑडिट कमिटी की राय भी जानना चाहता है।

डियाजियो ने पिछले हफ्ते कहा था कि अंदरूनी जांच से पता चला था कि यूएसएल ने 1,225.3 करोड़ रुपये गलत तरीके से 2010 से 2012 के बीच किंगफिशर को बचाने के लिए सहयोगी कंपनियों को दिए। माल्या की कंपनी किंगफिशर उस वक्त भारी कर्ज के चलते दिवालिया होने जा रही थी। इस कंपनी ने 2012 से अपनी सर्विस बंद कर दी थी। माल्या के कर्ज संबंधी मुश्किलों की वजह किंगफिशर ही है। इस कंपनी पर बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये बकाया है, जिस पर माल्या डिफॉल्ट कर चुके हैं।

इस मामले में सुवन लॉ अडवाइजर्स के फाउंडर सुमित अग्रवाल ने कहा, ‘यूएसएल को खरीदने से पहले डियाजियो ने जो ड्यू डिलिजेंस की थी, सेबी उसकी जांच कर सकता है। डियाजियो ने इस कंपनी में जब 55 पर्सेंट का कंट्रोलिंग स्टेक खरीदा था, मार्केट रेगुलेटर उस वक्त फंड के लेन-देन की भी पड़ताल कर सकता है।’ सेबी बोर्ड के रोल की भी जांच करना चाहता है। बोर्ड ने उस वक्त क्या सूचनाएं दी थीं, मार्केट रेग्युलेटर उसे भी देखेगा। इस मामले में प्रॉक्सी अडवाइजरी फर्म एसईएस के एमडी जे. एन. गुप्ता ने कहा, ‘2012 में यूएसएल के लिए जो ओपन ऑफर प्राइस तय हुआ था, वह मार्केट प्राइस के काफी करीब था। इसे लेकर संदेह जताया गया था। डियाजियो तब भारत में एंट्री के लिए उतावली थी। ऐसे में उसे यूएसएल को खरीदने के लिए मार्केट प्राइस से अधिक कीमत देनी चाहिए थी।’

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