वित्त मंत्री ने बताया, कच्चे तेल की तरह ही क्यों नहीं घट रहे पेट्रोल-डीजल के दाम

नई दिल्ली
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को आखिरकार यह बताना ही पड़ा कि जिस तेजी से कच्चे तेल की कीमत में गिरावट आई है, उसी तेजी से पेट्रोल-डीजल के दाम कम क्यों नहीं हुए। वित्त मंत्री ने घरेलू ग्राहकों को कच्चे तेल के दाम में तेज गिरावट का पूरा फायदा नहीं मिल पाने पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल की बिक्री पर लगी एक्साइज ड्यूटी का 42 प्रतिशत हिस्सा राज्यों के खजाने में जाता है जबकि बाकी की कमाई विकास कार्यों में लगती है।

जेटली ने कहा, ‘पेट्रोल-डीजल की कीमत का एक हिस्सा खासकर नैशनल हाइवेज और ग्रामीण सड़कों के विकास पर खर्च होता है। जो डीजल-पेट्रोल खर्च करते हैं और सड़कों पर गाड़ियां चलाते हैं उन्हें इसके लिए पे करना ही होगा।’
वित्त मंत्री ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा वैट के रूप में राज्यों के खातों में जाता है जबकि एक हिस्सा उन तेल कंपनियों को जाता है जो ग्लोबल मार्केट्स से कच्चा तेल खरीदने में बड़ा नुकसान उठाते हैं। उन्होंने कहा, ‘वे (तेल कंपनियां) 80 डॉलर प्रति बैरल की दर से तेल खरीदते हैं और जब तक वह इसे बेचते हैं तब तक कीमतें 60 डॉलर पर आ जाती हैं। एक वक्त तेल कंपनियों का घाटा 40,000 करोड़ रुपये की ऊंचाई पर था।’

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गौरतलब है कि अभी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमत 40 डॉलर प्रति बैरल है। यह पिछले 11 सालों में तेल की कीमत का निम्नतम स्तर है। ऐसे में घरेलू ग्राहक इसी तेजी से पेट्रोल-डीजल के दाम में गिरावट की उम्मीद कर रहे हैं। अब वित्त मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि ईंधन की बिक्री पर लगे चार्जेज का चार हिस्सा होता है। 42 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी और वैट के एक अहम हिस्से के साथ पेट्रोल-डीजल के मद में हुई आमदनी के बड़े लाभुक राज्य ही होते हैं।

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