UK: आग इतनी भयानक, DNA साक्ष्य तक नष्ट हो गए

लंदन
लंदन के रेजिडेंशल टावर में लगी आग इतनी भयानक थी कि ज्यादातर पीड़ितों के डीएनए साक्ष्य तक नष्ट हो गए। इसकी गैर मौजूदगी में पीड़ितों की पहचान मुश्किल हो गई है। एक्सपर्ट ने इस आग की तुलना 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले से की है। इस हमले के 40 फीसदी पीड़ितों की पहचान नहीं हो पाई थी।

लंदन की क्वीन मेरी यूनिवर्सिटी में फरेंसिक मेडिकल साइंसेज के प्रफेसर पीटर वेनजाइस ने बताया, ‘जब इस तरह की आग लगती है तो राख के अलावा कुछ नहीं बचता है।’

उन्होंने कहा कि ग्रेनफेल टावर में लगी आग का तापमान शवदाह के समय वाले तापमान के बराबर था। वेनजाइस ने बताया, ‘अगर आग ज्यादा समय तक लगी रहती है तो जांच के लिए पर्याप्त डीएनए के बचे होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।’ फिर भी उन्होंने कहा कि अगर पीड़ितों के आसपास फर्नीचर या मलबा रहा होगा तो डीएनए मिलने के कुछ चांस हैं। उन्होंने कहा कि अगर दांत या हड्डी का थोड़ा सा भी टुकड़ा मिल जाए तो पीड़ितों की पहचान में आसानी हो सकती है क्योंकि शरीर के ये हिस्से जल्दी नष्ट नहीं होते हैं।

उन्होंने कहा कि कुछ जटिल तकनीकों की मदद से किसी व्यक्ति के परिवार की तो पहचान हो सकती है लेकिन उसकी नहीं हो सकती।

वेनजाइस ने कहा कि पीड़ितों की पहचान का एक तरीका मेडिकल डिवाइस जैसे पेसमेकर या कोई आर्टिफिशल इंप्लांट्स हो सकती हैं। उसके रजिस्टेशन की डिटेल्स का पता लगाकर व्यक्ति की पहचान की जा सकती है।

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