PM की आर्थिक सलाहकार परिषद ने मानी अर्थव्यवस्था में सुस्ती की बात, प्राथमिकता वाले 10 क्षेत्रों को किया चिह्नित

नई दिल्ली
हाल ही में गठित हुई प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (PMEAC) ने आर्थिक वृद्धि को गति देने और अगले 6 महीने में रोजगार सृजन पर जोर देने के लिए प्राथमिकता वाले 10 क्षेत्रों की पहचान की है। बुधवार को PMEAC की पहली बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘5 सदस्यीय परिषद की सिफारिशें इन्हीं के आस-पास केंद्रित हैं।’

प्राथमिकता वाले जिन 10 क्षेत्रों की पहचान की गई है उनमें आर्थिक वृद्धि, रोजगार और रोजगार सृजन, असंगठित क्षेत्र व उसका समन्वय, राजकोषीय स्थिति, मौद्रिक नीति, सार्वजनिक व्यय, आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाले संस्थान, कृषि एवं पशुपालन, उपभोग की प्रवृत्ति और उत्पादन व सामाजिक क्षेत्र हैं।

बयान के मुताबिक एक अन्य अहम मुद्दे की पहचान की गई है जो है आर्थिक विकास के पैमानों की कारगर ट्रैकिंग की जरूरत। नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता वाले PMEAC ने कहा कि सरकार को राजकोषीय घाटे को घटाने के रोडमैप पर चलते रहना चाहिए। देबरॉय ने कहा, ‘सदस्यों के बीच इस बात पर सहमति है कि राजकोषीय घाटे को कम करने के प्रयासों से पीछे नहीं हटना चाहिए।’

देबरॉय ने कहा, ‘हम आने वाले महीनों में संबंधित मंत्रालयों, राज्यों, विशेषज्ञों, संस्थानों, निजी क्षेत्र और दूसरे पक्षों से विचार कर रिपोर्ट तैयार करेंगे।’ परिषद की अगली बैठक नवंबर में होगी। मीटिंग में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम भी शामिल हुए। बता दें कि आर्थिक सुस्ती को लेकर इन दिनों विपक्ष सरकार पर लगातार हमले कर रहा है और गुजरात विधानसभा चुनाव में भी यह बड़ा मुद्दा बन रहा है।

‘IMF के 80% अनुमान गलत’
आईएमएफ के आर्थिक वृद्धि के अनुमान पर परिषद के सदस्य डॉक्टर रथिन राय ने कहा कि आईएमएफ के अनुमान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उनका अनुमान 80 फीसदी गलत होता है। बिबेक देबराय ने कहा कि अभी देश में रोजगार के बारे में कोई सटीक आंकडा नहीं है। परिषद में दावा किया गया कि सुस्ती का दौर खत्म हो चुका है। परिषद ने भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट की बात स्वीकार की है और कहा है कि वह उसके कारणों की पड़ताल करेगी।

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