सौदा नहीं होने पर ‘फर्जी’ एनकाउंटर!

एनबीटी न्यूज, बुलंदशहर

पुलिस एनकाउंटर में मारे गए रणवीर के परिजन बुधवार को उसके 2 साथियों (जो वारदात के समय साथ थे) से मिले। परिजनों का कहना है कि रणवीर के पास 3.5 लाख रुपये थे। पुलिसवालों ने सादे कपड़ों में रणवीर को गोली मारी। परिजनों ने पैसे लूटने का भी आरोप लगाया। रणवीर के परिजन एनकाउंटर में शामिल पुलिसवालों के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।

गौरतलब है कि 24 फरवरी को पुलिस ने शराब तस्करी के आरोप में रणवीर को मुठभेड़ में मारने का दावा किया था। पुलिस ने उसके 2 साथियों राकेश और परवेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। पुलिस ने 250 पेटी शराब बरामद करने का दावा किया था। वहीं, आरोपियों का कहना है कि खुर्जा कोतवाली पुलिस ने उनसे ज्यादा पैसे मांगे थे, वे पुलिस को 2 लाख रुपये देने को तैयार थे। सौदा नहीं होने पर पुलिस ने कार का पीछा कर उन्हें घेर लिया और पकड़कर रणवीर को गोली मार दी। उसके पास से 3.5 लाख रुपये भी पुलिस ने लूट लिए। वारदात के दोनों गवाह राकेश और परवेश बुलंदशहर जेल में हैं। परिजनों ने बताया कि चौथा साथी पवन यादव भी उसी दिन से लापता है। जेल में बंद राकेश का आरोप है कि पवन को भी गोली लगी है जिसे पुलिस ने गायब कर रखा है। परिजनों का आरोप है कि पुलिस वाले उनके मोबाइल फोन पर 5 लाख रुपये की डिमांड कर रहे थे, न देने पर रणवीर को गोली मार दी।

हरियाणा में आज होगी पंचायत

रणवीर के परिजन सुनील, हरिओम, दिनेश और सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि शुक्रवार को उनके गांव धारुखेड़ा (रेवाड़ी,हरियाणा) में 50 गांव की पंचायत होनी तय हुई है। पंचायत में हरियाणा सरकार के कई मंत्री और पूर्व मंत्री भी शामिल होंगे। उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को भी पंचायत में शामिल होने की बात कही है। बुलंदशहर पुलिस के कारनामों का पंचायत में खुलासा करके आगे की रणनीति तय की जाएगी।

कोट

पुलिस मुठभेड़ की जांच मैजिस्ट्रेट से कराई जायेगी। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस भी यही कहती है कि मुठभेड़ और पुलिस कस्टडी में हुई मौत की जांच मैजिस्ट्रेट से कराई जाए। रिपोर्ट आने के बाद अगर पीड़ित के परिजन सीबीसीआईडी से जांच की मांग करेंगे तो शासन स्तर से जांच की सिफारिश की जाएगाी।-बी. चंद्रकला, डीएम

बॉक्स के लिए

क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस एनकाउंटर में मौत की जांच के लिए कई निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट का आदेश है कि जांच में यह पता चलता है कि किसी पुलिस अफसर के खिलाफ आईपीसी के तहत मामला बनता है, तो उसे तुरंत सस्पेंड कर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाए।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि जब भी पुलिस को क्रिमिनल मूवमेंट के बारे में गुप्त जानकारी मिले तो वह सबसे पहले डायरी में उसकी एंट्री करे। अगर मुठभेड़ में पुलिस की ओर से फायर आर्म का इस्तेमाल किया गया हो और इस कारण किसी की मौत हो गई हो तो सबसे पहले एफआईआर दर्ज की जाए। एनकाउंटर की स्वतंत्र जांच कराई जाए। सीआईडी या दूसरे थाने की पुलिस जांच करे और जांच का सुपरविजन सीनियर अधिकारी करें। विक्टिम के कलर फोटोग्राफ खींचे जाएं। साथ ही, मौके से ब्लड, बाल और अन्य चीजों का सैंपल बनाकर उसे प्रिजर्व किया जाए। घटना के बाद अधिकारी को आउट ऑफ टर्न कोई प्रमोशन न दिया जाए। अगर पीड़ित परिवार को लगे कि प्रोसेस का पालन नहीं हो रहा है और स्वतंत्र जांच नहीं हो पा रही है, तो पीड़ित परिवार संबंधित सेशन कोर्ट के सामने शिकायत कर सकता है।

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Navbharat Times

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