साहित्यकारों के सम्मान लौटाने पर उठ रहे हैं कई सवाल

  नई दिल्ली. दादरी हिंसा और एमएम कलबुर्गी मर्डर के विरोध में देश के साहित्यकार अपने पुरस्कार और सम्मान लौटा रहे हैं। सम्मानों को लौटाने के उनके तरीके और समय को लेकर सवाल उठाए जा रहे है।   पहले उदय प्रकाश, फिर नयनतारा सहगल और अब अशोक वाजपेयी ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने का ऐलान कर साहित्य जगत को झकझोरने की कोशिश की है। तीनों लेखकों के विरोध का आधार कमोबेश एक ही है। तीनों को लगता है कि इस वक्त देश का वातावरण बहुत खराब हो गया है और साहित्यकारों को प्रतिरोध में उठ खड़ा होना चाहिए। इन तीनों को लगता है कि साहित्य अकादमी को इस माहौल में लेखकों के साथ खड़ा होना चाहिए। पुरस्कार लौटाने वालों का कहना है कि साहित्य अकादमी स्वायत्त संस्था है, लिहाजा उसको इस माहौल के खिलाफ प्रस्ताव पास कर विरोध जताना चाहिए।   क्या होता है असर सम्मान लौटाने से सरकार पर क्या काेई असर होता है। साहित्यकार समाज का एक संवेदनशील हिस्सा होते हैं, जिनसे यह उम्मीद की जाती है कि वे हर बदलाव, समाज की अच्छाई-बुराई पर प्रतिक्रया देंगे। उनके पुरस्कार लौटाने को सरकार का विरोध…

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