‘सबसे खौफनाक’ बाल अपराधियों को कोर्ट ने दी रिहाई, जीवन भर छुपा सकेंगे पहचान

लंदन
दक्षिणी योर्कशर के ऐडिलिंग्टन गांव में 10 और 11 साल की उम्र के दो भाइयों ने आधुनिक इतिहास का सबसे नृशंस बाल अपराध किया था। साल 2009 में उन्होंने अपनी ही उम्र के 2 लड़कों के साथ जो क्रूरता दिखाई, वह किसी की भी सोच से ज्यादा खौफनाक था। अब दोनों अपराधियों की उम्र 19 साल और 18 साल की हो गई है। पिछले हफ्ते इंग्लैंड की एक हाई कोर्ट ने उन दोनों को जिंदगी भर के लिए अपनी पहचान छुपाने का अधिकार दे दिया। दोनों को हाल ही में जेल से आजादी मिली थी। मेल ऑनलाइन में छपी एक खबर के मुताबिक, अपने द्वारा किए गए अपराध के बदले दोनों ने 5-5 साल जेल की सजा काटी। अब ये दोनों अपनी पहचान छुपाकर नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू कर सकेंगे। उधर उनकी क्रूरता का शिकार हुए दोनों पीड़ित अभी भी सामान्य नहीं हो पाए हैं। दोनों पीड़ित आज भी उस शारीरिक और मनोवैज्ञानिक यंत्रणा को नहीं भूल पाए हैं।

हाई कोर्ट के इस फैसले का मतलब है कि अब दोनों दोषियों के दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों को उनकी असलियत और अतीत में उनके द्वारा किए गए वहशी अपराध का पता नहीं चल पाएगा। लोग कभी नहीं जान सकेंगे कि ये दोनों कितना संगीन अपराध करने की क्षमता रखते हैं। अदालत द्वारा इससे पहले 3 अन्य मामलों में अपराधियों को जीवनभर अपनी पुरानी पहचान छुपाने का मौका दिया गया है। उन तीन मामलों से यह केस फिर भी अलग है। उन मामलों में जहां दोषियों का नाम दुनिया को पता है, वहीं इस मामले में ना तो हमलावरों के असली नाम और ना ही उनके नए नामों का ही खुलासा किया जाएगा।

दोनों पीड़ित लड़के अपनी साइकल चला रहे थे। दोनों अपराधियों ने उनसे कुछ समय के लिए उनकी साइकल मांगी। दोनों अपराधी लड़के हाल ही में उस इलाके में शिफ्ट हुए थे। दोनों अपराधियों का बचपन मुश्किलों से भरा हुआ था। उनकी परवरिश एक झुग्गी में हुई थी, जहां उन्हें अक्सर मार पड़ती थी। उनके पिता को शराब पीने की लत थी और वह अपने बेटों को आपस में लड़ने के लिए मजबूर किया करता था। उनकी मां ड्रग्स की आदी थी। बच्चों को सुलाने के लिए वह खाने में गांजा मिला दिया करती थी। उनके इस अतीत के बारे में ऐडिलिंग्टन गांव में किसी को कुछ नहीं पता था। शायद यही कारण था कि दोनों पीड़ितों को उनके इरादों की जरा भी भनक नहीं लगी और वे खुद आसानी से उनके जाल में फंस गए।

साइकल लौटाते समय दोनों अपराधियों ने पीड़ित लड़कों से कहा कि उन्हें पास ही जंगल में कुछ मरी हुई लोमड़ियां दिखी हैं। दोनों बच्चे उत्सुकता में उनके साथ चले गए। इसके बाद अकेली जगह पर ले जाकर दोनों अपराधियों ने उन्हें ईंट से मारा, नुकीली टहनियों से उनका शरीर गोदा और तार से उनका गला दबाने की कोशिश की। इतना ही नहीं, उन्होंने दोनों पीड़ियों को टूटे हुए कांच पर चलने और उसे निगलने के लिए भी मजबूर किया। जली हुई सिगरेट से उनके ताजा घावों को जलाया गया और उन्हें बिच्छू खिलाया गया। दोनों को एक-दूसरे के साथ शर्मनाक हरकतें करने के लिए मजबूर भी किया गया। इतने पर भी दोनों अपराधियों का जुल्म खत्म नहीं हुआ। उन्होंने जलती हुई प्लास्टिक की चादर को उनके शरीर पर डाल दिया और उन्हें नंगे पांव जलती आग पर चलने को मजबूर किया। दोनों अपराधियों ने उनका शारीरिक और यौन शोषण भी किया।

इस अत्याचार के कुछ हिस्सा की उन्होंने पीड़ितों के ही मोबाइल द्वारा विडियो रिकॉर्डिंग भी की। ये सब करने के दौरान दोनों अपराधी वहां बैठकर बियर और सिगरेट पीते रहे। इसके बाद अपराधियों ने दोनों पीड़ितों में से एक को नाले में मुर्दा बनकर लेटने को कहा और उसके सिर पर एक बेकार पड़े सिंक को फेंक दिया। इसी बीच दूसरा लड़का वहां से भाग गया और उसने एक पड़ोसी के घर जाकर मदद मांगी। पड़ोसी ने मौके पर पहुंचकर दूसरे लड़के की मदद की। यह पड़ोसी आज भी उस दिन को नहीं भूले, जब पीड़ित उनके घर मदद मांगने पहुंचा था। वह बताते हैं, ‘उसका पूरा चेहरा खून से सना हुआ था। उसकी हालत देखकर मैं दंग रह गया। मैंने अपनी आजतक की जिंदगी में इतनी जघन्य क्रूरता नहीं देखी। इतनी बुरी हालत में भी वह अपने दोस्त के लिए मदद मांगने मेरे घर पहुंचा था।’ डॉक्टर्स का कहना है कि अगर उस दिन पड़ोसी ने समय रहते वहां पहुंचकर दूसरे लड़के की जान नहीं बचाई होती, तो उसकी मौत हो जाती।

दोनों पीड़ित आज भी इस पड़ोसी को अपना हीरो मानते हैं। वह बताते हैं, ‘दोनों लड़के कई बार मेरे घर आते हैं। दोनों बहुत अच्छे लड़के हैं, लेकिन अब भी उस दिन का खौफनाक अनुभव नहीं भूल पाए हैं।’ बच्चे की जान बचाने वाले इस पड़ोसी का कहना है, ‘अगर जज ने उस दिन देखा होता कि उन्होंने दोनों बच्चों का क्या हाल किया, तो शायद वह ऐसा फैसला कभी नहीं देते।’ एक पीड़ित के पिता ने बताया कि उनका बेटा अब भी उस हादसे की तकलीफों को भूल नहीं पाया है और शायद यही वजह है कि वह लोगों पर भरोसा नहीं कर पाता है। अपराधियों के माता-पिता ने अपने बेटों से सारे संबंध तोड़ लिए हैं।

हाई कोर्ट के इस फैसले से कई लोग असहमति जता रहे हैं। लोगों का कहना है कि इतना भीषण अपराध करने वाले अपराधियों की पहचान हमेशा के लिए छुपाने के कई और खतरे हो सकते हैं। लोगों को डर है कि शायद वे फिर से कोई अपराध करने की कोशिश करें।

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