संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 5 नए देशों को अस्थायी सदस्यता

संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच नए देशों को दो साल के कार्यकाल के लिए अस्थायी सदस्यता दी गई। पांचों नए सदस्य देशों मिस्र, जापान, सेनेगल, यूक्रेन और उरुग्वे ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद की बेहद अहम बैठक में हिस्सा लिया और अपना कार्यकाल प्रारंभ कर दिया।

15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद की यह बैठक मध्यपूर्व में चल रही समस्या, अफ्रीका में चल रहे आंतरिक संघर्ष और दुनिया भर में फैले आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जैसे बेहद अहम मुद्दों पर हुई।

पांचों नए अस्थायी सदस्य देशों का सुरक्षा परिषद में कार्यकाल एक जनवरी से शुरू हो गया और उन्हें पूर्व अस्थायी सदस्य देशों, चाड, चिली, जॉर्डन, लिथुआनिया और नाइजीरिया की जगह शामिल किया गया।

पूर्व सदस्य देशों का कार्यकाल 31 दिसंबर को समाप्त हुआ। नए अस्थायी सदस्य देशों के लिए हुए चुनाव में पांचों नए सदस्यों को निर्विरोध चुना गया।

सीरिया शांति वार्ता और यमन में युद्धविराम के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे संयुक्त राष्ट्र की बैठक के दौरान पांचों नए सदस्यों ने सुरक्षा परिषद में पहली बार हिस्सेदारी की।

सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए हर वर्ष चुनाव कराए जाते हैं तथा अस्थायी सदस्यता हासिल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के कुल 193 सदस्यों के बीच दो तिहाई बहुमत हासिल करना होता है।

सुरक्षा परिषद में हर साल पांच सदस्यों का चयन किया जाता है। अस्थायी सदस्यता हासिल करने वाले देशों को अपनी आंतरिक एवं विदेश नीतियों से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष अच्छा उदाहरण पेश करना होता है और संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर मूलभूत दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्य करना होता है।

संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना सुरक्षा परिषद का प्राथमिक उत्तरदायित्व है। पांचों नए अस्थायी सदस्य देश सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों, चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका तथा पांच अन्य अस्थायी देशों, अंगोला, मलयेशिया, न्यू जीलैंड, स्पेन और वेनेजुएला के साथ सुरक्षा परिषद में शामिल हो गए।

उल्लेखनीय है कि सुरक्षा परिषद के पांचों स्थायी सदस्य देशों के पास वीटो का अधिकार होता है तथा सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र ऐसी इकाई है जिसके पास कानूनी रूप से बाध्यकारी निर्णय लेने का अधिकार है। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को सुरक्षा परिषद का निर्णय मानना होता है उसका पालन करना होता है।

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