वक्त के साथ और ज्यादा निखरते जा रहे कोहली ने टीम को दी नई ऊंचाई

शशांक शेखर
टीम इंडिया के टेस्ट कैप्टन विराट कोहली वक्त के साथ और विराट होते जा रहे हैं। उनके आने के बाद से टीम इंडिया में एक नई संस्कृति भी आई, जहां स्किल, एटिड्यूड, कुछ कर गुजरने की जबरस्त भूख, हालात और वक्त के हिसाब से सर्वश्रेष्ठ फैसले लेने की क्षमता का जबरदस्त संगम है। फैंस की नजर में कोहली तो तभी आ गए थे जब उन्होंने अपनी कप्तानी में अंडर 19 वर्ल्ड कप जिताया था, लेकिन तबसे लेकर अब तक उसमें बहुत बदलाव आ चुके हैं। वक्त के साथ कोहली खुद को अपग्रेड करते जा रहे हैं।

मार्च 2008: मलयेशिया के कुआलालंपुर में क्रिकेट ग्राउंड दिल्ली के एक लड़के की हुंकार से गूंज रहा था। वह लड़का जैसे मुनादी कर रहा हो कि सुनो दुनिया वालो, अब से हमारा वक्त शुरू होता है, अब हम हैं क्रिकेट के नए सिकंदर। दिल्ली का वो लड़का ‘कम ऑन’ चिल्लाते हुए ग्राउंड का चक्कर लगा रहा था, उसकी कप्तानी में टीम अंडर-19 वर्ल्ड कप जीत चुकी थी।

दिसंबर 2014: ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 364 रनों के बेहद मुश्किल लक्ष्य का पीछा करते हुए कैप्टन कोहली ने खुद मोर्चा संभाला था। भारत के पास मैच ड्रा कराने का विकल्प था लेकिन टीम जीत के लक्ष्य के साथ बैटिंग कर रही थी। आखिरकार टीम 48 रनों से हार गई। समीक्षकों ने कोहली की पारी की तारीफ तो की लेकिन यह सवाल भी उठा कि क्या कोहली ने जरूरत से ज्यादा आक्रामकता दिखाई।

और अब: कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया इंग्लैंड के खिलाफ 3-0 की अपराजेय बढ़त ले चुकी है। पिछले 17 मैचों में टीम इंडिया एक भी बार नहीं हारी है। यह एक नया रेकॉर्ड है। यह एक कोहली एक आक्रामक युवा बल्लेबाज से अब एक पूर्ण क्रिकेटर के रूप में विकसित हो चुके हैं। इंग्लैंड के खिलाफ मुंबई में खेले गए चौथे टेस्ट में कोहली के 3 पहलू दिखे और तीनों में पूर्ण- बल्लेबाज, कैप्टन और क्रिकेट स्टेट्समैन यानी वह जो सच्चे अर्थों में क्रिकेट का ऐंबैसडर हो। ध्यान रहे, कोहली अभी सिर्फ 28 साल के हैं। उन्होंने 235 रनों की बेजोड़ पारी खेलकर इंग्लैंड की कमतर तोड़ दी। जुलाई के बाद से यह उनकी तीसरी डबल सेंचुरी थी। जब अश्विन और एंडरसन मैदान पर उलझ गए तब कोहली ने दखल देकर दोनों को शांत कराया। एंडरसन और अश्विन के बीच कहासुनी की वजह इंग्लिश बोलर का वह कॉमेंट था जो खुद विराट कोहली के बारे में था।

कोहली ने टीम में एक नई जान डाली है। उन्होंने टीम को डिफेंसिव माइंडसेट से बाहर निकाला है। इन सबमें कोच अनिल कुंबले के कुशल मार्गदर्शन का भी हाथ है, जिससे न सिर्फ कोहली और ज्यादा निखरे हैं बल्कि उनके नेतृत्व में टीम भी निखरती जा रही है। मैदान पर अब कोहली जो कुछ भी करते हैं उससे यह झलकता है कि वह परिपक्व हो चुके हैं। उन्होंने खुद पर बेहतर ढंग से नियंत्रण करना सीख लिया है, बतौर खिलाड़ी और बतौर व्यक्ति भी।

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