यूएस में बोले मोदी, अभिव्यक्ति और धर्म की स्वतंत्रता संविधान में शामिल

वॉशिंगटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के मानवाधिकार रेकॉर्ड का बुधवार को यह कहते हुए बचाव किया कि उनकी सरकार के लिए संविधान ‘वास्तविक पवित्र ग्रंथ’ है, जो सभी नागरिकों को आस्था और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है, भले ही उनकी कोई भी पृष्ठभूमि हो। मोदी ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के स्पीकर पॉल यार्न के आमंत्रण पर अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘भारत एकजुट होकर रहता है, भारत एकजुट होकर आगे बढ़ता है और भारत एक होकर जश्न मनाता है।’

मोदी ने अपने 45 मिनट के भाषण में कहा, ‘मेरी सरकार के लिए संविधान ही वास्तविक पवित्र ग्रंथ है। इस पवित्र ग्रंथ में आस्था की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति और मताधिकार और सभी नागरिकों के लिए समानता का अधिकार मौलिक अधिकार के रुप में शामिल किया गया है, भले ही उनकी कोई भी पृष्ठभूमि हो।’

इस अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक में उपराष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी हिस्सा लिया। उनका बयान यूएस कमिशन फॉर इंटरनैशनल रिलिजियस फ्रीडम के वार्षिक रिपोर्ट की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें दावा किया गया था कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता का 2015 में नकारात्मक रेकार्ड रहा। जिसके मुताबिक भारत में कथित तौर पर धार्मिक सहिष्णुता में गिरावट आई है और धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन में वृद्धि हुई है।

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