MRI स्कैनर की खोज में मदद करने वाले वैज्ञानिक का निधन

लंदन
भौतिकशास्त्री पीटर मैन्सफील्ड का 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। मैंसफील्ड को एमआरआई स्कैनर के आविष्कार में मदद के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंगम ने मैंसफील्ड के परिवार की ओर से दिए गए बयान को जारी किया है। बयान में पुष्टि की गई है कि उनका एक दिन पहले निधन हो गया।

लंदन में जन्मे मैंसफील्ड सेंट्रल इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंगम को 1964 में भौतिक शास्त्र के लेक्चरर के तौर पर जॉइन किया था। उनको मैगनेटिक रिजॉनेंस इमेजिंग (एमआरआई) विकसित करने में उनके काम के लिए अमेरिकी रसायन शास्त्री पॉल लाउतरबर के साथ औषधि में 2003 का साझा नोबल पुरस्कार दिया गया। एमआरआई मैग्नेटिक फील्ड्स और रेडियो तरंगों का इस्तेमाल करके शरीर के आंतरिंक अंगों की 3-डी तस्वीरों तैयार करता है।

1978 में मैंसफील्ड वह पहले व्यक्ति थे जो एमआरआई स्कैनर के अंदर जा बैठे ताकि एमआरआई का इंसान के शरीर पर परीक्षण किया जा सके। उनके काम से सर्जरी के बगैर आंतरिंक अंगों के अंदर बीमारी का पता लगाने के मैदान में क्रांति आ गई।

यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंगम के वाइस चांसलर डेविड ग्रीनअवे ने बताया, ‘बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जो कुछ नया करने की चाह में करियर की परवाह नहीं करते हैं। मैंसफील्ड ऐसे ही आदमी थे जिन्होंने दुनिया को बदल दिया’

उन्होंने कहा, ‘एमआरआई के मैदान में सर पीटर मैंसफील्ड ने जो काम किया, उसने हमारी दुनिया को बदल दिया।’ मैंसफील्ड को 1993 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने सर की उपाधि से सम्मानित किया था। उनके परिवार में उनकी पत्नी, दो बेटियां और चार नाती-नातिन हैं।

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