मोदी सरकार के चलते देश छोड़ रहे हैं अमीर भारतीय? ये कंपनियां कर रही हैं मदद

सुगाता घोष, मुंबई
देश के अमीरों को भारतीय पासपोर्ट सरेंडर कर डोमिनिका, सेंट लूसिया, एंटीगुआ, ग्रेनाडा, सेंट किट्स, माल्टा या साइप्रस सरीखी जगहों की नागरिकता दिलाने का धंधा जोर पकड़ रहा है। इस काम में दुबई और दूसरे फाइनैंशल सेंटर्स से काम कर रहीं कंपनियां जुटी हुई हैं। ये कंपनियां भारत के वेल्थ मैनेजरों, टैक्स प्रैक्टिशनर्स और वकीलों के बीच अपने संभावित क्लाइंट्स ढूंढ रही हैं।

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कई मालदार भारतीय टैक्स कम चुकाने की गुंजाइश बनाने और मनमाफिक कारोबारी माहौल के लिए यह रास्ता पकड़ते हैं। कुछ अन्य अपनी कारगुजारियों की भनक भारतीय जांच एजेंसियों को लगने से पहले भारतीय अदालतों के दायरे से निकल भागने के लिए ऐसा करते हैं। इकनॉमिक टाइम्स ने ऐसी कुछ कंपनियों से संपर्क किया, जो 3-4 महीनों की सिटिजनशिप दिलाने में मदद करती हैं। इसके लिए वे क्लाइंट्स से एक लाख से लेकर 2.4 लाख डॉलर तक वसूलती हैं।

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दिल्ली की सिटिजनशिप इनवेस्ट ने पिछले नौ वर्षों में हजारों लोगों को नई नागरिकता पाने के बारे में सलाह दी है। उसकी सीईओ वेरोनिका कॉटडेमी ने कहा, ‘हमारे 10 पर्सेंट क्लाइंट्स एनआरआई और भारत में रहने वाले यहां के नागरिक हैं। पिछले 4 वर्षों में भारत से आनेवाले एप्लिकेशंस में 40% बढ़ोतरी हुई है। हमारे क्लाइंट्स हम तक ऑनलाइन या दूसरों के जरिए जानकारी जुटाकर संपर्क करते हैं। जुलाई 2017 से फरवरी 2018 के बीच ऑल्टरनेटिव सिटिजनशिप्स के बारे में एनआरआई और भारतीय नागरिकों की ओर से पूछताछ में 65 पर्सेंट बढ़ोतरी हुई है। ऐसा टैक्स कलेक्शंस के बारे में पीएम नरेंद्र मोदी के प्रशासन की ज्यादा सक्रियता के कारण भी हो सकता है।’

उन्होंने कहा, ‘कोई भी देश ऐसे व्यक्ति को नागरिकता नहीं देता है, जो बैंक लोन का डिफॉल्टर हो या जो टैक्स चोरी के मामले से जुड़ा हो।’ हालांकि नागरिकता का आवेदन स्वीकार किए जाने, नए देश में उनके इनवेस्टमेंट को मंजूरी मिलने और नया पासपोर्ट जारी होने के काफी बाद अगर ऐसे लोगों की करतूतों का खुलासा होता है, तो उन्हें परेशानी भी नहीं होती। पिछले पांच वर्षों में 200 परिवारों को इस बारे में सलाह दे चुकी आर्टन कैपिटल ने कहा कि जनवरी 2017 के बाद से इस बारे में ज्यादा पूछताछ की जा रही है। दुबई में आर्टन की असोसिएट वाइस प्रेजिडेंट लीना मोटवानी ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि नोटबंदी के चलते हुआ हो।

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ऐप्लिकेशन में कम खर्च आने के कारण कई लोगों ने कॉमनवेल्थ ऑफ डोमिनिका और सेंट लूसिया सरीखे करीबियाई आइलैंड्स का रुख किया। इनके पासपोर्ट पर शेंजेन जोन, ब्रिटेन, सिंगापुर, मलेशिया, हांगकांग सहित 120 देशों में वीजा-फ्री ट्रैवल की इजाजत होती है। साथ ही, इनके सिटिजनशिप प्रोग्राम्स में आवेदक को एक सरकारी फंड में एक लाख डॉलर देने होते हैं।

अमीर भारतीयों से मोटी कमाई कर रहे हैं ऐसे छोटे देश
अपनी कमजोर माली हालत सुधारने के लिए एंटीगुआ सरीखे छोटे देशों ने ऐसी स्कीम्स बना ली हैं, जिनके तहत एक सरकारी फंड में कॉन्ट्रिब्यूशन या एक रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट के जरिए कुछ महीनों की नागरिकता हासिल की जा सकती है। इन देशों में आवेदक को केवल 50 हजार डॉलर यानी करीब 34 लाख रुपये देने होते हैं। इन देशों में विदेशी इनकम, कैपिटल गेन, इंपोर्ट, गिफ्ट, उत्तराधिकार में मिली संपत्ति पर कोई टैक्स नहीं लगता।

ग्रेनाडा का भी जमकर रुख कर रहे अमीर भारतीय

कॉटडेमी ने बताया कि कई भारतीय ग्रेनाडा की नागरिकता लेने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं क्योंकि यह एकमात्र करीबियाई पासपोर्ट है, जो चीन में वीजा-फ्री एंट्री देता है। यह उन भारतीयों के लिए अडवांटेज है, जिनका बिजनस चीन में है। ग्रेनाडा ने 2013 में यह प्रोग्राम दोबारा शुरू किया था। वह अपने नैशनल ट्रांसफॉर्मेशन फंड में दो लाख डॉलर के नॉन-रिफंडेबल कॉन्ट्रिब्यूशन पर नागरिकता देता है।

भारत में दोहरी नागरिकता को मंजूरी न मिलने से मुश्किल

हेनली एंड पार्टनर्स (मिडल ईस्ट, दुबई, यूएई) के मैनेजिंग पार्टनर मार्को गैंटेनबिन के अनुसार, आवेदक के खुद मौजूद रहने की कम से कम जरूरत वाले रेजिडेंस बाई इनवेस्टमेंट प्रोग्राम्स के लिहाज से थाईलैंड एलीट रेजिडेंस प्रोग्राम और पुर्तगाल का गोल्डन रेजिडेंस परमिट प्रोग्राम भारतीय नागरिकों के बीच ज्यादा लोकप्रिय हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत डुअल सिटिजनशिप की इजाजत नहीं देता, लिहाजा अमीर भारतीय नागरिक दूसरे विकल्प खंगालते हैं, जिनमें उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा मिले। ऐसे में सबसे सीधा रास्ता है रेजिडेंस बाई इनवेस्टमेंट का।’

साइप्रस भी बना अमीरों के पलायन का अच्छा ठिकाना

किसी बात का डर न रखने वाले अमीर भारतीय साइप्रस का रुख करते हैं, जो अभी एकमात्र यूरोपीय देश है, जो पूरे परिवार को छह महीने के भीतर यूरोपियन नागरिकता दे सकता है। निवेशकों को इसके लिए साइप्रस में कम से कम 20 लाख डॉलर में एक रियल एस्टेट डील करनी होती है और उसे तीन साल के लिए होल्ड करना होता है। आर्टन की मोटवानी ने कहा, ‘परंपरागत रूप से अमेरिका में ईबी-5 वीजा ज्यादा लोकप्रिय है। ब्रिटिश इनवेस्टर वीजा भी लोकप्रिय रहा है। 2015 के आसपास पुर्तगाल और हंगरी की लोकप्रियता बढ़ी क्योंकि वहां आवेदन करना कम महंगा है।’

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