मैं भी दिल्ली की CM थी, LG से कभी ऐसा टकराव नहीं हुआ: शीला दीक्षित

दिलबर गोठी, नई दिल्ली

दिल्ली में उपराज्यपाल और सरकार के बीच टकराव की गंभीर स्थिति बनी हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का कहना है कि इस टकराव की कोई जरूरत ही नहीं है और इसे टाला जा सकता था।

शीला दीक्षित ने 15 साल दिल्ली का शासन संभाला और उनके तीन कार्यकाल में तीन एलजी भी बदले। इस तरह के टकराव की स्थिति कभी नहीं बनी। एनबीटी से विशेष बातचीत में शीला दीक्षित ने कहा कि दिल्ली की स्थिति को समझने की जरूरत है।

पूर्व सीएम शीला ने कहा, ‘यहां सरकार का अपना दायरा है और एलजी का अपना। पुलिस और लैंड दिल्ली सरकार के पास नहीं हैं, यह बात एकदम साफ है। यह बात हमें भी पता थी। इसलिए हमारे साथ कभी टकराव की स्थिति पैदा नहीं हुई। सरकार को यह समझने की जरूरत है कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है।’

उन्होंने कहा कि हां, कई बार आपस में मतभेद अवश्य पैदा हुए लेकिन हमने बैठकर उन मतभेदों को सुलझा लिया; सरकार चलाने का यही तरीका है। वह बोलीं कि अगर कोई कहे कि दिल्ली में एलजी के पास अधिक अधिकार हैं तो यही समझने की जरूरत है; अगर आपको लगता है कि अधिक अधिकार हैं तो जब तक अधिकार कम नहीं हो जाते, तब तक इन्हीं अधिकारों के साथ तो सरकार चलानी होगी।

शीला ने कहा, ‘आप टकराव करके जनता को यह बताने चले हैं कि हमारे पास अधिकार नहीं है। आप जनता को यह बताइए कि आपने जो वादे किए थे, उनका क्या हुआ। बिजली पर क्या हुआ, पानी पर क्या हुआ या वाई-फाई पर क्या हुआ। आप जनता के सामने टकराव लेकर नहीं जा सकते।’

एक अन्य सवाल के जवाब में शीला दीक्षित ने कहा कि नगर निगम के पास हमेशा ही पैसे की कमी रहती है; जब आप सरकार में आते हैं तो आपको भूल जाना चाहिए कि कांग्रेस क्या है और बीजेपी क्या है! तब आपको सरकार चलानी होती है। शीला के मुताबिक, ‘निगम का सबसे बड़ा खर्चा सैलरी का है और वहां जो लोग काम करते हैं, उन्हें सैलरी मिलनी चाहिए। सत्ता में चाहे बीजेपी थी या कांग्रेस, हमने कभी भी ऐसे हालात नहीं बनने दिए कि कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिले। इस स्तर पर तो राजनीति नहीं की जा सकती। शीला दीक्षित ने टकराव के वर्तमान हालात में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कोई सलाह देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है लेकिन मैं इतना अवश्य कहूंगी कि जो कुछ हो रहा है वह दिल्ली के हित में नहीं है।’

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Navbharat Times