मां ने घर से निकाला, फुटपाथ पर सोना पड़ा:भांजे अनु मलिक ने हसरत जयपुरी से कहा था- बूढ़े हो गए, गाने नहीं लिख सकते

दुनिया बनाने वाले, तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे, बदन पे सितारे लपेटे हुए, ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर, जैसे कई गाने लिखने वाले गीतकार हसरत जयपुरी की आज 102वीं बर्थ एनिवर्सरी है। 15 अप्रैल 1922 को राजस्थान के जयपुर में जन्मे हसरत जयपुरी का असली नाम इकबाल हुसैन था। हसरत जयपुरी बचपन से शेरो-शायरी करते थे। मां को यह सब पसंद नहीं था, इसलिए उन्होंने हसरत को घर से निकाल दिया। हसरत फेमस म्यूजिक डायरेक्टर अनु मलिक के मामा थे। एक बार अनु मलिक ने बातों-बातों में कह दिया था कि मामा अब तुम बूढ़े हो गए हो, गाना नहीं लिख सकते। हसरत को यह बात लग गई। उन्होंने कुछ ही दिन बाद फिल्म राम तेरी गंगा मैली का फेमस गाना ‘सुन साहिबा सुन’ लिख दिया। हसरत जयपुरी की बर्थ एनिवर्सरी पर जानते हैं उनकी लाइफ से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें .. मां ने घर से निकाल दिया था हसरत जयपुरी के पिता नाजिम हुसैन फौज में थे। उनकी मां का नाम फिरदौसी बेगम था। हसरत जयपुरी बचपन से ही शायराना मिजाज वाले व्यक्ति थे। उनके नाना फिदा हुसैन अपने जमाने के जाने-माने शायर हुआ करते थे। हसरत को शेरो-शायरी का शौक मां से ही विरासत में मिला था। हालांकि इनकी मां शायर नहीं थीं। हसरत की मां को उनका शायरी करना जरा भी पसंद नहीं था। हसरत ने मां की बात नहीं सुनी। मां ने हुक्म दिया कि तुम्हें अगर शायरी ही करना है, तो मेरे घर से बाहर निकल जाओ। बिना खाना खाए कई दिनों तक फुटपाथ पर सोना पड़ा साल 1940 में हसरत बॉम्बे (मुंबई) आ गए। मायानगरी में पहुंचने के बाद हसरत के जीवन का असली संघर्ष शुरू हुआ। ना ही उनके पास पैसे थे और ना ही उनकी कोई जान पहचान थी। कई दिनों तक बिना खाना खाए ही फुटपाथ पर सोना पड़ा। इसी बीच उन्हें एहसास हुआ कि जिंदगी चलाने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा। काफी संघर्ष के बाद बस कंडक्टर की नौकरी मिली। इसके लिए उन्हें 11 रुपए प्रति महीने मिलते थे। उन्होंने 8 साल तक यह नौकरी की। मुशायरे में पृथ्वीराज कपूर की नजर पड़ी तो जिंदगी बदल गई कंडक्टर की नौकरी करते-करते अपने शौक को पूरा करने के लिए हसरत मुशायरे में जाने लगे। एक दिन मुशायरे के दौरान पृथ्वीराज कपूर की नजर हसरत जयपुरी पर पड़ी। उन दिनों पृथ्वीराज के बेटे और एक्टर राजकपूर फिल्म बरसात की तैयारी कर रहे थे। पुराने म्यूजिक डायरेक्टर और गीतकार बहुत तकलीफ देते थे, इसलिए राजकपूर अपना एक अलग ग्रुप बनाना चाह रहे थे। पृथ्वीराज कपूर ने हसरत जयपुरी की मुलाकात राजकपूर से कराई और बरसात में पहला गाना ‘जिया बेकरार है छाई बहार है’ लिखने का मौका दिया। इस फिल्म के बाद राज कपूर ने उन्हें अपने यहां 300 रुपए महीने पर रख लिया, लेकिन हसरत जयपुरी को राज कपूर की फिल्मों के अलावा दूसरों की फिल्मों के गीत लिखने की भी पूरी छूट थी। हसरत, शंकर- जयकिशन और शैलेंद्र की बन गई जोड़ी बरसात के बाद हसरत जयपुरी ने राज कपूर की कई फिल्मों के गीत लिखे। पहली फिल्म के बाद ही हसरत की जोड़ी म्यूजिक डायरेक्टर शंकर-जयकिशन और गीतकार शैलेंद्र के साथ बन गई थी। इनकी टीम ने कई फिल्मों के गीत को कालजयी बना दिए। 1971 में जयकिशन के निधन के बाद तीनों की जोड़ी टूट गई। हसरत जयपुरी, जयकिशन के बहुत करीब थे। प्रेमिका के लिए लिखी पहली चिट्ठी से बना अमर गीत फिल्म संगम का गीत ‘ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर’ से जुड़ा एक मजेदार किस्सा हसरत जयपुरी ने खुद ही एक इंटरव्यू के दौरान सुनाया था। हसरत जयपुरी ने कहा था, ‘मुझे पड़ोस की राधा नाम की लड़की से प्यार हो गया था। इश्क का मजहब और जात-पात से कोई ताल्लुक नहीं। यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि एक मुस्लिम लड़के को केवल एक मुस्लिम लड़की से ही प्यार हो। मेरा प्यार खामोश था। मैंने उसके लिए एक कविता लिखी थी। राज कपूर को वह काफी पसंद आई और उन्होंने उसे अपनी फिल्म संगम में शामिल कर लिया।’ हसरत जयपुरी के मिजाज में रोमांस था हसरत जयपुरी की बेटी किश्वर जयपुरी को भी लिखने का शौक था। वो भी शेरो शायरी लिखा करती थीं, लेकिन किश्वर जयपुरी को शेरो-शायरी लिखने से हसरत जयपुरी ने मना कर दिया। इस बात का खुलासा किश्वर जयपुरी ने एक इंटरव्यू के दौरान किया था। किश्वर ने कहा था, ‘डैडी कहते थे कि शायर बनने के लिए बार-बार मोहब्बत करनी पड़ेगी। वो तुमसे नहीं हो पाएगी। डैडी के मिजाज में रोमांस था, लेकिन ऐसा भी नहीं था कि अपनी बीवी और बच्चों को भूल जाएं। किसी का जलवा देखा और बस लिख दिया। रोमानियत को लोग हवस के नजरिए से देखते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। यह गलत बात है।’ बेटे के जन्म पर लिखा गाना- चश्मे बद्दूर फिल्म ‘ससुराल’ के लिए जब हसरत जयपुरी से गीत लिखने के लिए कहा गया तो उन्हें समझ में नहीं आया कि क्या लिखा जाए। इस फिल्म में राजेन्द्र कुमार के अपोजिट साउथ की एक्ट्रेस बी सरोजा देवी ने काम किया था। साउथ की एक्ट्रेस को हसरत खूबसूरत नहीं मानते थे, इसलिए वो गीत नहीं लिख पा रहे थे। शादी के 7 साल के बाद बेटे का जन्म हुआ। बच्चे को देखते ही हसरत साहब के मुंह से एक बोल निकल गया। वो बोल कुछ ऐसा था- तेरी प्यारी-प्यारी सूरत को किसी की नजर ना लगे, चश्मे बद्दूर। वहां उस वक्त म्यूजिक डायरेक्टर जयकिशन भी मौजूद थे। उन्होंने तुरंत कहा, ‘मुखड़ा मिल गया, अब इसी पर गीत लिख दो।’ जब जयकिशन ने अपनी प्रेमिका के लिए एक गाना लिखने को कहा म्यूजिक डायरेक्टर जोड़ी शंकर-जयकिशन में से जयकिशन को उन दिनों एक लड़की पल्लवी से प्यार हो गया। जयकिशन, पल्लवी से शादी करना चाह रहे थे, लेकिन पल्लवी के घर वालों को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। वह बहुत ही अमीर खानदान की बेटी थीं। उस वक्त शंकर-जयकिशन का इंडस्ट्री में बड़ा नाम नहीं था। वे स्ट्रगल के दौर से गुजर रहे थे। जयकिशन ने हसरत जयपुरी से कहा, ‘एक ऐसा गाना लिखो कि पल्लवी गाना सुने और दौड़ती हुई मेरे पास चली आए।’ हसरत ने लिखा- यहां कोई नहीं मेरा तेरे सिवा, कहती है झूमती गाती हवा तुम सब छोड़कर आ जाओ। यह गीत फिल्म ‘दिल एक मंदिर’ का था। इस गीत को जब पल्लवी ने सुना, तो सब कुछ छोड़कर जय किशन के पास आ गईं। लव मैरिज के खिलाफ थे हसरत जयपुरी हसरत जयपुरी ने फिल्मों में कई रोमांटिक गीत लिखे, उन्हें प्रिंस ऑफ रोमांस कहा जाता है। हालांकि असल जिंदगी में वो लव मैरिज के खिलाफ थे। उन्होंने 35 साल की उम्र में अपनी मां की पसंद की लड़की से शादी की। उनके दो बेटे अख्तर हसरत जयपुरी, आसिफ हसरत जयपुरी और एक बेटी किश्वर जयपुरी हैं। जयपुरी ने अपनी पत्नी की सलाह पर अपनी कमाई को रियल एस्टेट में निवेश किया। इन संपत्तियों से हुई कमाई की बदौलत उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत थी। शायद इसीलिए वे गीतकार के रूप में अपना समय समर्पित कर सके। अनु मलिक ने हसरत को कहा- अब बूढ़े हो गए हो गीत नहीं लिख पाओगे हसरत जयपुरी की बहन बिलकिस की शादी म्यूजिक डायरेक्टर सरदार मलिक से हुई थी। सरदार मलिक अनु मलिक के पिता थे। 80 के दशक में हसरत जयपुरी के फिल्मों में गीत कम हो गए थे। उन दिनों अनु मलिक फिल्मों में धीरे-धीरे हिट हो रहे थे। एक दिन अनु मलिक हसरत जयपुरी के घर पहुंच गए और कहा, ‘मामा कुछ गीत लिख कर दो, मैं अपनी फिल्म में लेना चाहता हूं।’ हसरत ने कई गीत लिखे, लेकिन अनु मलिक को कोई भी गीत पसंद नहीं आया। हसरत ने और भी गीत लिखकर दिए, लेकिन अनु मलिक के हिसाब से वो ठीक नहीं थे। काफी वक्त गुजर गया और जब बात नहीं बनी तब अनु मलिक ने हसरत जयपुरी से कहा, ‘मामू अब तुम बूढ़े हो गए हो, अब तुमसे लिखा नहीं जा रहा है। अब तुम गाने नहीं लिख पाओगे।’ अनु मलिक की बात दिल पर लग गई अनु मलिक की कही बात हसरत जयपुरी के दिल पर लग गई। उन दिनों राज कपूर राम तेरी गंगा मैली बना रहे थे। उस फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर रवींद्र जैन थे। हसरत जयपुरी ने रवींद्र जैन से कहा, ‘एक गीत लिखने की इजाजत दिला दीजिए। मैं किसी को दिखाना चाहता हूं कि क्या लिख सकता हूं?’ रवींद्र जैन ने इस बात का जिक्र राज कपूर से किया। राज कपूर ने हसरत जयपुरी को एक गीत लिखने की इजाजत दे दी। राज कपूर ने फिल्म के गाने की सिचुएशन समझाई और हसरत जयपुरी ने ‘सुन साहिबा सुन’ लिखा। लता मंगेशकर का गाया यह गीत फिल्म की जान बन गया। इस तरह उन्होंने अनु मलिक को दिखा दिया कि वे अब भी बेहतरीन गाने लिख सकते हैं। 300 से अधिक फिल्मों के लिए 2000 गाने लिखे हसरत जयपुरी ने लंबे समय तक फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया। उन्होंने 300 से अधिक फिल्मों के लिए लगभग 2000 गीत लिखे। 17 सितम्बर 1999 को उनका लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया, लेकिन उनके कालजयी गीतों ने उन्हें अमर कर दिया। उनका लिखा गीत ‘तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे’ वाकई इतनी आसानी से उन्हें भूलने नहीं देगा।

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