भारत के लिए ऐतिहासिक साबित हुई एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप

भुवनेश्वर
शीर्ष सितारों की अनुपस्थिति से भले ही थोड़ी चमक फीकी हुई हो, लेकिन यहां समाप्त हुई 22वीं एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत ने रेकॉर्ड पदक हासिल कर तालिका में पहली बार शीर्ष स्थान हासिल कर यादगार प्रदर्शन किया। चार दिवसीय चैंपियनशिपर 6 जुलाई को शुरू होकर कल खत्म हुई। कुछ शीर्ष महाद्वीपीय स्टारों की अनुपस्थिति से हालांकि थोड़ा असर पड़ा जो हर साल की समस्या है और एशियाई एथलेटिक्स महासंघ को अभी तक इसका कोई हल नहीं मिला है।

चीन, जापान, कतर और बहरीन के कई एथलीटों ने अगले महीने लंदन में होने वाली विश्व चैंपियनशिप की तैयारी के लिए इसमें शिरकत नहीं की, जिससे चैंपियनशिप की चमक थोड़ी फीकी हो गई जिसमें 43 देशों के 562 एथलीट ने हिस्सा लिया। हालांकि यह बिलकुल नया नहीं है कि यह प्रतियोगिता हर दूसरे साल, उसी वर्ष होती है जब वर्ल्ड चैंपियनशिप का आयोजन होता है। एशियाई एथलेटिक्स संघ के अध्यक्ष दहलान अल हमद ने बीती रात समापन समारोह के दौरान अपने भाषण में कहा, ‘भुवनेश्वर, तुमने प्रतियोगिता का स्तर बढ़ा दिया।’ उनका इशारा ओडिशा सरकार और भारतीय एथलेटिक्स महासंघ द्वारा आयोजित प्रतियोगिता के बेहतरीन आयोजन की ओर था।

मैदान पर हालांकि प्रतियोगिता का स्तर इतने ऊंचे मानकों के हिसाब से नहीं रहा, जिसमें गर्म और उमस भरे मौसम से एथलीटों के प्रदर्शन पर भी असर पड़ा। चारों दिन केवल एक मीट रेकॉर्ड बन सका, जो भारत के पुरुष भाला फेंक थ्रो में नीरज चोपड़ा ने बनाया। कलिंग स्टेडियम में विश्व स्तरीय सुविधायें महज 90 दिन के अंदर ही तैयार कर दी गईं। लेकिन भारत ने ‘सुपरपावर’ चीन से आगे रहते हुए 29 पदक (12 स्वर्ण, 5 रजत और 12 कांस्य) हासिल किए।

भारत ने इस बार सबसे ज्यादा 94 एथलीट उतारे और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी किया। उसने जकार्ता में 1985 चरण के पिछले चरण में 22 पदक (10 स्वर्ण, 5 रजत और 7 कांस्य) से बेहतर प्रदर्शन किया। भारत ने शीर्ष पर चीन की बादशाहत को तोड़ दिया और शुरुआती दिन से ही पदक तालिका में बढ़त हासिल की, जबकि चीन 1983 चरण से लगातार शीर्ष पर चल रहा था। लेकिन यह चीज निश्चित रूप से बदल सकती थी, अगर चीन, कतर और बहरीन ने अपने शीर्ष एथलीटों को इसमें भेजा होता।

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