भारत के कार बाजार पर है चाइनीज ऑटो कंपनियों की नजर

नई दिल्ली
भारत में चीन सस्ते सामान का पर्याय बन गया है। सस्ते खिलौने, फोन्स और इलेक्ट्रिक उत्पादों से भारतीय बाजार को पाटने के बाद चाइनीज कंपनियों की नजर अब यहां के ऑटोमोबाइल सेक्टर पर है।

पिछले दिनों चाइनीज ऑटो निर्माता कंपनी SAIC मोटर ने कहा कि यह देश में अपनी मौजूदगी स्थापित करने के लिए 2025 तक 5 हजार करोड़ रुपये निवेश करेगी। यह भारत में मोरिस गैराजेस (MG) ब्रैंड को 2019 में भारत में पेश करेगी। यह ब्रिटिश ब्रैंड है जिसका अधिग्रहण SAIC ने एक दशक पहले चाइनीज फर्म नैनजिंग ऑटोमोबाइल से किया था।

चाइनीज ऑटोमोबाइल मार्केट में सुस्ती आ रही है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चाइना असोसिएशन ऑफ ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स का अनुमान है कि चीन में इस साल वाहनों की बिक्री वृद्धि दर 2017 के बराबर ही 3 फीसदी रहेगी। 2016 में यह 13.7 फीसदी थी।

असोसिएशन के डेप्युटी सेक्रटरी जनरल शी जीनहुआ ने इस महीने द वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि हाल के समय तक चीन दुनियाभर के ऑटो मार्केट का ग्रोथ इंजन था, लेकिन अब इसकी गति सुस्त होगी।

भारतीय यात्री वाहन बाजार सबसे तेजी से बढ़ रहा है (2016-17 में 9 फीसदी) और 2020 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार बाजार होगा। यही कारण है कि चाइनीज ऑटो निर्माता कंपनियां भारत की ओर देख रही हैं। 2016-17 में चीन से 27.8 करोड़ डॉलर का एफडीआई भारत में आया और इसका 60 फीसदी हिस्सा ऑटोमोबाइल सेक्टर में था।

हालांकि, खिलौने और स्मार्टफोन निर्माताओं की तरह ऑटो कंपनियों के लिए भारतीय बाजार आसान नहीं होगा। विश्वसनीयता, गुणवत्ता और बिक्री के बाद सर्विस कार खरीदारों के लिए अहम है। भारतीय बाजार पर मारुति का जैसा आधिपत्य है उससे चाइनीज कंपनियों के लिए जगह बनाना आसान नहीं है। हालांकि, चाइनीज कंपनियों को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता है। कई चाइनीज ऑटो निर्माताओं ने ग्लोबल ऑटो ब्रैंड्स में हिस्सेदारी ले ली है, जिनकी भारत में मौजूदगी है।

भारत इलेक्ट्रिक कारों पर जोर दे रहा है और यह चाइनीज कंपनियों के लिए नया रास्ता खोल देगी। चाइनीज कंपनियों ने इस टेक्नॉलजी में महारत हासिल कर ली है चीन इलेक्ट्रिक वाहनों का सबसे बड़ा बाजार बन चुका है।

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