पीएम मोदी को बोइंग का संदेश: याद रखिए, हम बहुत बड़ी कंपनी हैं

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग का पावरहाउस बनाने को लेकर काफी तत्पर हैं। ऐसे में वैश्विक कंपनियां इस मौके को हर हाल में लपकने की कोशिश में जुटी हुई हैं। इसी क्रम में बोइंग ने पीएम मोदी को इशारों-इशारों में ही एक संदेश दे दिया। बोइंग ने कहा, साइज मैटर्स यानी कोई कंपनी कितनी बड़ी या छोटी है, यह मायने रखता है।

ब्लूमबर्ग में छपी खबर के मुताबिक, बोइंग की डिफेंस यूनिट में ग्लोबल सेल्स के वाइस प्रेजिडेंट जेफ कोलर ने कहा, ‘अगर भारत एयरोस्पेस इकॉनमी में उछाल भरी शुरुआत चाहता है तो क्या यह दसो के साथ संभव है जो महज करीब 5 बिलियन डॉलर की कंपनी है या आप यह काम बोइंग के साथ करना चाहते हैं जो 97 बिलियन डॉलर की एयरोस्पेस कंपनी है?’

गौरतलब है कि बोइंग 2012 में ऐसा ही एक मौका छोटी फ्रांसीसी कंपनी दसो एविएशन के हाथों गंवा चुका है। उस वक्त दोनों के बीच सबसे बड़ी फाइटर-जेट डील हुई थी। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले दस सालों में देश के सैन्य साजो-सामान को आधुनिक बनाने में 150 बिलियन डॉलर खर्च करने की मंशा रखते हैं। ऐसे में दुनिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस कंपनी बोइंग इसे भारत में अपने काम-काज के विस्तार के बड़े मौके के रूप में देख रही है।

पीएम का महत्वाकांक्षी लक्ष्य भारत को दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश से इसे डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग के ग्लोबल हब में तब्दील करने का है। पिछले वित्तीय वर्ष में भारत ने 64 बिलियन डॉलर के वैश्विक रक्षा व्यापार में महज 150 मिलियन डॉलर का निर्यात किया था जबकि उसका आयात कुल 5.6 बिलियन डॉलर का रहा।

बोइंग और साब एबी जैसी कंपनियां अब भारत में जंगी जहाजों के बेड़ों के आधुनिकीकरण में अपना बड़ा हिस्सा सुनिश्चित करना चाह रही हैं। इंडियन एयर फोर्स के कुल 650 जहाजों में एक तिहाई की उम्र 40 साल से ज्यादा हो गई है और ये अगले दसक में रिटायर हो जाएंगे।

कोलर ने कहा, ‘इस मामले में (पुराने बेड़े को बदलने के मामले में) कंपनी का बड़ा या छोटा होना मायने रखता है। हमारे पास कमर्शल, डिफेंस, स्पेस- सभी सेक्टर में काम करने की क्षमता है। दसो ऐसा नहीं कर सकता, साब भी ऐसा नहीं कर सकता।’ ब्लूमबर्ग द्वारा जुटाए गए डेटा के मुताबिक, बोइंग ने पिछले साल 96 बिलियन डॉलर की बिक्री की है जबकि साब ने 3.3 बिलियन डॉलर की। वहीं, दसो का 2014 का रेवेन्यू 4.9 बिलियन डॉलर रहा है।

बोइंग के सीईओ ने इसी महीने इकनॉमिक टाइम्स को बताया था कि उनकी कंपनी ने एफ/ए-18 फाइटर जेट्स भारत में मैन्युफैक्चर करने का ऑफर दिया है। एफ/ए-18 फाइटर जेट्स अमेरिकी नौसेना का आधार स्तंभ है। वहीं, कोलर ने भी कहा कि अगर भारत और अमेरिका की सरकारें जॉइंट प्रोग्राम को लेकर सहमत हो जाती हैं तो बोइंग भारत में स्थानीय तौर पर फाइटर जेट्स बनाने को तैयार है।

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