पहला राष्ट्रीय संस्कृत पुस्तक मेला बनारस में शुरू

विकास पाठक, वाराणसी
देश का पहला राष्ट्रीय संस्कृत पुस्तक मेला शनिवार को वाराणसी में शुरू हुआ। नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) के हीरक जयंती वर्ष में आयोजित मेले का शुभारंभ सूबे के राज्यपाल राम नाईक ने दीप प्रज्जवलित कर किया। पहले दिन का आकर्षण ‘गांधी तत्व शतकम्’ पुस्तक रही, जिसका विमोचन राज्यपाल ने किया। इस पुस्तक में संस्कृत के 100 श्लोक के माध्यम से महात्मा गांधी के संस्कृत और गीता प्रेम को उजागर किया गया है। एनबीटी ने अब तक 34 भारतीय भाषाओं में पुस्तकों का प्रकाशन किया है, लेकिन संस्कृत उसमें शामिल नहीं थी। पहली बार संस्कृत में पुस्तक का प्रकाशन हुआ है।

शहर के बीच स्थित टाउन हॉल मैदान में लगा पुस्तक मेला संस्कृत की पुस्तकों पर केंद्रित है, लेकिन इसमें लगे 91 स्टॉल पर हिंदी साहित्य, भारतीय भाषाओं, अंग्रेजी और उर्दू की भी पुस्तकें उपलब्ध हैं। देशभर से आए 60 में से 15 प्रकाशक संस्कृत भाषा के हैं। 17 सितम्बर तक चलने वाले मेले में प्रवेश नि:शुल्क है। साथ ही हर दिन संगोष्ठी और बच्चों के लिए प्रतियोगिताएं होंगी। पुस्तकों की खरीद पर विक्रेताओं की ओर से 10 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।

संस्कृत पुस्तक मेले का उद्धाटन करते हुए राज्यपाल राम नाईक ने कहा, ‘संस्कृत सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि वह भारतीय संस्कृति की आत्मा है। यदि भाषाओं में से संस्कृत को विलुप्त कर दिया जाए, तो कोई भी भाषा अपना अस्तित्व नहीं बनाए रख सकती। बावजूद इसके दुर्भाग्य है कि आजादी के 70 साल बाद भी संस्कृत भाषा को वह मुकाम नहीं मिला, जो उसे मिलना चाहिए था। ‘सत्यमेव जयते’ जो भारत का शासकीय मंत्र है, वह भी संस्कृत से लिया गया है। इससे यह समझा जा सकता है कि भारत में संस्कृत का क्या दर्जा है।’

नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा ने संस्कृत को जनमानस से जोड़ने के लिए ऐसे आयोजन को आवश्यक बताया। इस मौके पर संस्कृत आयोग के अध्यक्ष और संस्कृत के पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रफेसर सत्यव्रत शास्त्री, बीएचयू के वीसी प्रफेसर जीसी त्रिपाठी, संस्कृत विश्वविद्यालय के वीसी प्रफेसर यदुनाथ दुबे और विद्यापीठ के वीसी डॉक्टर पृथ्वीश नाग मौजूद रहे।

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