नेताजी के पोते ने जारी किए दस्तावेज, कई दावे

लंदन
ब्रिटेन की एक वेबसाइट ने अगस्त 1945 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विमान दुर्घटना में मौत होने के ठीक पहले दिन से जुड़े दस्तावेजों को जारी किया है। http://www.bosefiles.info/ पर ताजा दस्तावेज ब्रिटेन आधारित स्वतंत्र पत्रकार ओर बोस के पोते आशीष रे ने जारी किया है। इसमें 18 अगस्त 1945 को ताईवान में उनकी विमान दुर्घटना होने से एक दिन पहले की गतिविधियों की जानकारी दी गई है।

वेबसाइट ने दस्तावेजों के हवाले से बताया कि 17 अगस्त 1945 को बोस बैंकॉक से रवाना हुए और दोपहर से पहले साइगोन पहुंचे। कई भारतीय और जापानी चश्मदीदों ने इसे मेजर जनरल शाह नवाज खान की अध्यक्षता वाली 1956 नेताजी जांच समिति के समक्ष सत्यापित किया था। इस समिति में आजाद भारत की प्रांतीय सरकार (पीजीएफआई) के एसए अय्यर, देबनाथ दास और आजाद हिंद फौज (आईएनए) के कर्नल हबीब उर रहमान भी शामिल थे। इन दोनों संगठनों का नेतृत्व बोस ने किया था। आजाद हिंद फौज के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल भोंसले ने इस बात से सहमति जताई कि बोस 17 अगस्त 1945 की सुबह बैंकॉक से साइगोन के लिए रवाना हुए थे।

हालांकि, सेकंड वर्ल्ड वॉर में जापान के कुछ ही दिन पहले आत्मसमर्पण करने के ठीक बाद बोस को सीधे उत्तर पूर्व एशिया ले जाने के लिए कोई विमान उपलब्ध नहीं था। जापान का सेना मुख्यालय भ्रम की स्थिति में था। आखिरकार, जापानी अधिकारियों पीजीएफआई और आईएनए के बीच संपर्क संस्थान हिकारी किकन के जनरल इसोदा ने बोस को इस बात से अवगत कराया था कि तोक्यो जाने वाले विमान में सिर्फ दो सीटें ही उपलब्ध होंगी।

इसका मतलब है कि उनके अधिकांश सलाहकार और अधिकारी उनके साथ जाने में सक्षम नहीं रहे होंगे। जांच आयोग को दिए आईएनएके कर्नल प्रीतम सिंह के बयान के मुताबिक बोस को पेशकश स्वीकार करने की सलाह दी गई थी। उन्होंने एडीसी कर्नल रहमान को अपने साथ ले जाने के लिए चुना। विमान के उड़ान भरने से पहले विमान में क्षमता से अधिक भार बढ़ने का कोई मुद्दा नहीं था। समिति ने यह दर्ज किया कि बोस ने अपने सामान में किताबें, कपड़े इत्यादि चीजों का एक हिस्सा अलग कर दिया।

विमान में सवार जापानी यात्रियों में लेफ्टिनेंट जनरल शिदेई भी शामिल थे जो एक जाने-माने अधिकारी थे। वह चीन सोवियत संघ की सीमा के पास चीन के मंचूरिया जा रहे थे। वह वहां जापानी सेना की कमान संभालने जा रहे थे। बोस के मुख्यालय से जुड़े एक जापानी दुभाषिये ने शाह नवाज समिति को बताया कि जनरल शिदेई जापानी सेना में रूसी मामलों के एक विशेषज्ञ होने वाले थे और उन्हें रूस के साथ बातचीत में एक अहम व्यक्ति माना जा रहा था।

यह सुझाव दिया गया था कि नेताजी उनके साथ मंचूरिया जाएं। इस तरह, ऐसा लगता है कि यह रजामंदी बनी कि बोस जनरल शिदेई के साथ मंचूरिया के डेरेन जाएंगे। जापानी सेना के एक एयर स्टाफ ऑफिसर और यात्रियों में शामिल लेफ्टिनेंट कर्नल शिरो नोनोगाकी ने स्वतंत्र रूप से समिति को बताया, ‘विमान के जनरल शिदेई को मंचूरिया ले जाने का कार्यक्रम था। नेताजी ने उनके साथ मंचूरिया के डेरेन जाने के लिए सहमति जताई थी।’ यह विमान जापानी वायुसेना के दोहरे इंजन वाला 97-2 (सैली) था। इसके लिए निर्धारित मार्ग साइगोन-हेइतो-तेइपो-डेरेन-तोक्यो था।

लेकिन साइगोन से रवानगी में देर के चलते पायलट ने चीन तट पर तूरान में रात में रुकने का फैसला किया जबकि पहले की योजना यह थी कि किसी भी हाल में ताईवान जाना है। विमान में 13 लोगों के सवार होने का अनुमान है जिनमें बोस, रहमान और बाकी जापानी थे। रहमान ने समिति को बताया, ‘पायलट के ठीक पीछे नेताजी बैठे हुए थे और उनके सामने कोई नहीं था क्योंकि जगह पेट्रोल टंकी के चलते बंद थी। मैं नेताजी के ठीक पीछे बैठा हुआ था। सह पायलट की सीट पर लेफ्टिनेंट जनरल शिदेई थे जो नेताजी को पेशकश की गई थी लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया था क्योंकि यह उनके लिए बहुत छोटी थी।’

साइगोन से उड़ान भरने के लिए विमान को एक पूरी लंबाई वाली हवाईपट्टी की जरूरत थी। यह बताया गया कि विमान में अभी भी क्षमता से अधिक भार था। जांच समिति ने इस बात का जिक्र किया कि इसलिए तूरान पहुंचने पर चालक दल और अन्य जापानी अधिकारियों ने 12 विमान भेदी मशीन गन और गोलाबारूद उतार दिये। अन्य सामान भी उतार दिया जिससे 600 किलोग्राम वजन कम हो गया। वेबसाइट ने दस्तावेजों के हवाले से बताया कि तूरान में बोस ने एक होटल में रात गुजारी। शायद यह होटल मोरीन था। वेबसाइट ने कहा कि भविष्य में होने वाले शेष खुलासों का लक्ष्य अगले दिन हुई विमान दुर्घटना के पीछे मौजूद तथ्यों को रखना है। माना जाता है कि इस हादसे में नेताजी की मौत हो गई थी।

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