देश में पुलिसवालों से दोगुनी है NGO की तादाद, मिलता है 1000 करोड़ फंड

  नई दिल्ली. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सिर्फ 10 फीसदी गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ही अपना खर्च और फंडिंग का ब्यौरा दे रहे हैं। एनजीओ की तादाद देश में पुलिसकर्मियों से दोगुनी हो गई है। खुद को गैर लाभकारी बताने वाले ये संगठन क्या वाकई देश के लिए फायदेमंद हैं?   देश में हैं 30 लाख से ज्यादा NGO एनजीओ का नाम आते ही सबसे पहले जहन में जो तस्वीर बनती है वह परोपकार के नाम पर आर्थिक लाभ कमाने की ही बनती है। सवाल लाजिमी है कि देश में 30 लाख से ज्यादा गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के काम करने के बावजूद हालातों में कोई विशेष अंतर क्यों नहीं आ रहा। हर शहर की हर गली और नुक्कड़ में फलां शिक्षा समिति, फलां सेवा संगठन जैसे नामों वाले बोर्ड लगे मिल जाते हैं। आंकड़ों में देखा जाए तो 400 लोगों पर एक एनजीओ है। इनकी संख्या देश के सरकारी अस्पतालों से 250 गुना ज्यादा है और स्कूलों से लगभग दोगुनी है। दिन-दूने रात चौगने बढ़ रहे ये एनजीओ सिर्फ कागजों में ही दिखाई देते हैं। इन एनजीओ को उनके इरादों में कामयाब बनाने में सरकार भी कम जिम्मेदार नहीं है।   1000 करोड़ का फंड देती है…

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