घरेलू कंपनियों की मदद के लिए कुछ हद तक संरक्षणवाद की जरूरत: SBI चीफ

मुंबई
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की चेयरपर्सन अरुंधित भट्टाचार्य ने शनिवार को कहा कि उद्यमियों को वैश्विक स्तर की कंपनियां बनाने के लिए प्रोत्साहित करने और राष्ट्रीय हित में कुछ हद तक संरक्षणवाद को अपनाने की जरूरत है।

वॉर्टन इंडिया इकनॉमिक फॉरम के एक कार्यक्रम में अरुंधति ने कहा कि उनका मानना है कि राष्ट्रीय महत्व के वास्तविक मामलों में अगर सरकार को लगता है कि कुछ चीजों का बचाव महत्वपूर्ण है तो ऐसा किया जाना चाहिए क्योंकि कुछ चरण ऐसे हैं जहां कुछ हद तक संरक्षणवाद जरूरी जान पड़ता है। उन्होंने यह बात चीन द्वारा अपनाए जाने वाले संरक्षणवाद के मॉडल से संबंधित एक सवाल के जवाब में कही। हालांकि, उन्होंने इसकी विस्तृत व्याख्या नहीं की।

नोटबंदी के मसले पर उन्होंने कहा कि इससे देश में डिजिटल भुगतान को जबर्दस्‍त बढ़त मिली है। उन्होंने कहा, ‘हमारे वॉलिट (एसबीआई बडी) में रोजाना 6,000 से 7,000 डाउनलोड होते थे जो कि अब बढ़कर 17,000 से 18,000 तक रोजाना पहुंच गया है।

हमारे पॉइंट ऑफ सेल में रोजाना 95 करोड़ की खरीद-फरोख्त होती थी और अब यह बढ़कर 410 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। इसी प्रकार वॉलिट लेन-देन भी दैनिक एक करोड़ से बढ़कर छह करोड़ रुपये हो गई। उन्‍होंने कहा कि डिजिटलीकरण से लेन-देन की लागत कम होगी।

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