ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों पर भारत ने खड़े किए सवाल, बताया जमीनी हकीकत से दूर

योकोहामा (जापान)
विकास और आर्थिक सुधारों के बावजूद ग्लोबल एजेंसियों द्वारा रेटिंग अपग्रेड न किए जाने को लेकर भारत ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा है कि रेटिंग एजेंसियां भारत की जमीनी हकीकत से दूर हैं। उन्होंने कहा कि रेटिंग एजेंसियों को आत्मचिंतन करना चाहिए, क्योंकि हाल में भारत में हुए सुधारों को देखते हुए उसकी रेटिंग में सुधार किया जाना चाहिए था। शक्तिकांत दास एशियाई विकास बैंक की वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने के लिए योकाहामा में हैं।

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यहां मीडिया से बातचीत में दास ने कहा, ‘जहां तक सरकार की बात है, तो वह देश के विकास और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे कदम उठाती रहेगी। सरकार संरचना के विकास से जुड़े सुधार पर भी लगातार आगे बढ़ती रहेगी। सरकार वह सब कुछ करती रहेगी जिससे देश का विकास हो, रोजगार के अवसर पैदा हों और अर्थव्यवस्था में तेजी आए।’

उन्होंने आगे कहा, ‘पिछले 2-3 सालों में जिस तरह का विकास और जिस गुणवत्ता के सुधार भारत में हुए हैं, उसका कोई सानी नहीं। आप सिर्फ भारत में ही इस तरह के सुधार देख सकते हैं।’ दास ने कहा कि इन सभी सुधारों और बदलावों के बूते ही भारत ने 7 प्रतिशत से ज्यादा की जीडीपी ग्रोथ बरकरार रखी है, जबकि बिजनस करने की सुविधा के मामले में भी भारत में काफी सुधार आया है।’

इन सभी बातों का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया, ‘अगर रेटिंग एजेंसियां भारत की रेटिंग अपग्रेड नहीं करती है, अगर वे इसे कोई तवज्जो नहीं देती हैं, तो मुझे लगता है कि शायद वे जमीनी हकीकत से कटी हुई हैं। तो वाकई उनके लिए आत्मचिंतन का समय है।’

बता दें कि सरकारी खजाने की कमजोर स्थिति का हवाला देते हुए वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने भारत के लिए अपनी सरकारी रेटिंग ‘बीबीबी-’ को बरकरार रखा है। वर्तमान रेटिंग का स्तर निवेश कोटि में सबसे नीचे है ओर इस अमेरिकी एजेंसी ने भारत को यह रेटिंग लगभग एक दशक पहले दी थी और तब से इसमें कोई बदलाव नहीं किया है।

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