अरामको के शेयरों को बेचकर सऊदी अरब करेगा दुनिया का सबसे बड़ा निजीकरण

लंदन

कच्चे तेल में लगातार गिरावट के चलते मुश्किलों में घिरी सऊदी अरब सरकार अपनी तेल कंपनी अरामको के 5 पर्सेंट शेयरों को बेचने की तैयारी में है। फिलहाल यह कंपनी पूरी तरह से सऊदी सरकार द्वारा संचालित है, लेकिन सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो अगले साल दुनिया का कोई भी शख्स इस कंपनी के शेयर खरीद सकेगा। सऊदी किंगडम ने दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी के शेयरों को बेचकर अपने राजकोष में राशि जुटाने का फैसला किया है।

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एक्सॉन मोबिल के मुकाबिक अरामको की कुल संपत्ति ऐपल से पांच गुना अधिक है। पूरी दुनिया में तेल के उत्पादन में इस कंपनी की हिस्सेदारी 12 पर्सेंट है। इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब की निजी कंपनियों के मुकाबले यह पांच गुना अधिक तेल का प्रॉडक्शन करती है। सऊदी सरकार ने भले ही कंपनी के महज 5 पर्सेंट शेयरों को ही बेचने का फैसला किया हो, लेकिन जानकारों का कहना है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा निजीकरण होगा। अरामको के निजीकरण से भले ही दुनिया में कोई बड़ा असर न पड़े, लेकिन सऊदी अरब और खास तौर पर तेल उत्पादक देशों पर इसका असर जरूर होगा।

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इस कंपनी का विनिवेश किए जाने के तीन पक्ष हैं, पहला यह कि सऊदी अरब तेल पर अपनी निर्भरता कम कर अपनी दौलत को विविध क्षेत्रों में निवेश करना चाहता है। दूसरा इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव होगा। तीसरा, इससे मध्य पूर्व के देशों की अर्थव्यवस्था में व्यापक परिवर्तन देखने को मिल सकता है। सऊदी अरब की समस्या यह है कि उसकी इकॉनमी एक ही इंडस्ट्री पर काफी हद तक निर्भर करती है।

इस समस्या से निपटने के लिए ही पिछले दिनों सऊदी के डेप्युटी क्राउन प्रिंस ने विजन-2030 पेश किया था, जिसमें यह बताया गया था कि तेल न होने की स्थिति में सऊदी अरब किस तरह से अपनी इकॉनमी को आकार देगा। इस विजन में अरामको के शेयर्स को बेचकर दुनिया का सबसे बड़ा वेल्थ फंड स्थापित करने की तैयारी में है। इसका कुछ हिस्सा सऊदी सरकार विदेशों में निवेश करेगी और कुछ हिस्से को घरेलू इंडस्ट्री में लगाया जाएगा।
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सऊदी सरकार की इस योजना को समझा जा सकता है क्योंकि किसी भी देश के लिए सिंगल इंडस्ट्री आधारित इकॉनमी के भरोसे आगे बढ़ना आसान नहीं है। 30 साल के डेप्युटी क्राउन प्रिंस सलमान का सुझाव है कि देश की इकॉनमी में सुधार के लिए टूरिज्म, हेल्थ केयर, मैन्युफैक्चरिंग और शिक्षा पर खर्च किए जाने की आवश्यकता है। सलमान के मुकाबिक सऊदी सरकार निजी सेक्टर की हिस्सेदारी 40 पर्सेंट से बढ़ाकर 65 पर्सेंट करना चाहती है। यदि ऐसा होता है तो सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था में ओमान की तरह ही खासी विविधता हो जाएगी। इससे देश का कैरेक्टर भी काफी हद तक बदला जा सकेगा।

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