हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करने के 47 आधार: दिल्ली सरकार

नई दिल्ली
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने जो आदेश दिया है उसमें खामियां हैं जिसके आधार पर उस आदेश को खारिज किया जा सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने और उसे खारिज करने के लिए 47 आधार हैं। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में LG को एडमिनिस्ट्रेटिव हेड बताया है। इस फैसले को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। सरकार काउंसिल ऑफ मिनिस्टर ही चलाएंगे। ऐसा जिक्र नहीं है कि LG ही सरकार चलाएंगे।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश सीनियर ऐडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम ने दलील दी कि हाई कोर्ट ने इस मामले में अपने फैसले में जो व्यवस्था दी है कि LG एडमिनिस्ट्रेटिव हेड है और दिल्ली सरकार की कैबिनेट के फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं है, वह खामियों से भरा है और यह संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर के खिलाफ है। साथ ही यह विधायी स्कीम के विपरीत है। हाई कोर्ट का फैसला कहता है कि LG कैबिनेट के फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं और जब कैबिनेट कोई भी फैसला लेगी तो उसे LG से पास कराना होगा। हाई कोर्ट का यह फैसला सही नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह सही है कि चुनी हुई सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए, लेकिन क्या शक्ति होनी चाहिए, इस पर बात होनी चाहिए। क्या वे शक्तियां जो हाई कोर्ट ने आदेश पारित कर कहा है या फिर वे शक्तियां जो आप अपनी दलील में उठा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह जानना चाहते हैं कि LG के पास क्या पावर हैं और वह उसका इस्तेमाल किस तरह से करते हैं।

तब सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की ओर से पेश ऐडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा कि केंद्र अगर यह कहता है कि दिल्ली सरकार के पास अमुक शक्तियां हैं और इसके तहत आप अपने हिसाब से सरकार चलाएं तो वह कोर्ट को बताना चाहते हैं कि अपने क्लाइंट से कह कर केस वापस करवाएंगे, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं है। दिल्ली सरकार के पास न तो पावर है और न ही कोई अधिकार दिया गया है। अगर चुनी हुई सरकार काउंसल ऑफ मिनिस्टर नहीं है तो आखिर कौन है।

उन्होंने कहा कि LG सरकार चलाएंगे ऐसा प्रावधान नहीं है। LG कैबिनेट की सलाह मानने को बाध्य हैं और उन्हें कानून के तहत काम करना चाहिए। LG को संविधान के तहत सरकार को सहयोग करना चाहिए। अब मामले की अगली सुनवाई 8 फरवरी को होगी और तब इस बात पर बहस होनी है कि ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारियों के ट्रांसफर और नियुक्ति के मामले में अधिकार किसके पास हैं।

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