सरकार का दावा, अकेले डीबीटी स्कीम से एलपीजी सब्सिडी में बचाए 21,000 करोड़ रुपये
|केंद्र सरकार ने कहा कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) स्कीम के तहत एलपीजी सिलिंडर की सब्सिडी के पैसे सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में डालने से दो सालों में 21,000 करोड़ रुपये की बचत हो चुकी है। बचत की राशि का बड़ा हिस्सा जाली, नकली और निष्क्रीय घरेलू एलपीजी कनेक्शनों को खत्म करने से आया है। इन कनेक्शनों में 3.34 करोड़ से ज्यादा डीबीटी स्कीम लागू होने के बाद बंद हो गए।
सरकार के आकलन के मुताबिक, साल 2014-15 में औसतन 368.72 रुपये प्रति सिलिंडर की दर से लागू सब्सिडी के मद्देनजर 3.34 करोड़ गलत कन्जयूमर्स को करीब 14,818.4 करोड़ रुपये गए होंगे। यह आकलन हर परिवार को एक साल में सब्सिडी वाले कुल 12 सिलिंडर मिलने के आधार पर किया गया है। इसी तरह साल 2015-16 में 6,443 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
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ऑइल मिनिस्ट्री की ओर से एक बयान में कहा गया है, ‘एलपीजी के लिए डीबीटी (या पहल) मेकनिजम लागू होने से इन 3.34 करोड़ एलपीजी कनेक्शनों को बंद करना संभव हो सका है क्योंकि सब्सिडी सिर्फ उन्हीं कन्जूयमर्स के खातों में ट्रांसफर हुई जिन्होंने रजिस्ट्रेशन करवा रखा था और जिन्हें फर्जी नहीं पाया गया।’
बयान में कहा गया है, ‘डीबीटीएल से पहले शायद सभी 3.34 करोड़ फर्जी कन्जयूमर्स डिस्ट्रीब्यूटरों से सब्सिडी पर सिलिंडर लिया करते होंगे। अगर, ये अकाउंट्स बंद नहीं होते तो कच्चे तेल की कीमत घटने के बावजजूद सब्सिडी का बिल बहुत ज्यादा हुआ होत।’ फर्जी कनेक्शन बंद करने के बाद यह भी देखा गया कि अप्रैल 2015 से मार्च 2016 के बीच बिना सब्सिडी वाले एलपीजी कनेक्शनों की बिक्री में 39.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई।
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