सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान में मोबाइल ऐप से मिलेगी मदद

रुचिका श्रीवास्तव, नई दिल्ली
सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना से जुड़े आंकड़े जुटाने वाले कर्मचारियों को जल्द एक मोबाइल ऐप्लिकेशन की मदद मिल सकती है। सरकार यह ऐप्लिकेशन डिवेलप कर रही है। इससे आंकड़े रेग्युलर बेसिस पर और तेजी से अपडेट किए जा सकेंगे। सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना के आंकड़ों से विभिन्न योजनाओं में लाभार्थियों की पहचान करने में मदद मिलती है। रेग्युलर बेसिस पर अपडेट होने से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कोई असल लाभार्थी न छूट जाए।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘मोबाइल ऐप्लिकेशन को एनआईसी की टीम डिवेलप कर रही है। अधिकृत व्यक्ति सभी सुरक्षा नियमों और कानूनों का पालन करते हुए डेटा अपलोड करेगा।’ सरकार सोशियो-इकनॉमिक ऐंड कॉस्ट सेंसस (एसईसीसी) 2011 डेटा का उपयोग सभी योजनाओं के लिए करने के बारे में एक कैबिनेट नोट पर काम कर रही है और साथ ही यह चाहती है कि ऐसे आंकड़े प्रासंगिक हों। ग्रामीण विकास मंत्रालय जल्द कुछ ग्रामीण और शहरी जिलों में इस मोबाइल ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल करते हुए एक पायलट प्रोग्राम करेगा। इससे मिले डेटा का उपयोग नागरिकों के लिए एक सोशल रजिस्ट्री बनाने में होगा।

सरकार ने सचिवों की एक समिति बनाई है, जो एसईसीसी डेटा को अपडेट किए जाने की प्रक्रिया पर नजर रखेगी। इस समिति में वित्त, सांख्यिकी, ग्रामीण विकास और यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सचिव शामिल हैं। यह समिति इस बात पर निर्णय करेगी कि कितनी अवधि में एसईसीसी डेटा को रिवाइज किया जाना चाहिए। एक अधिकारी ने बताया, ‘नए सिरे से सेंसस का काम करना काफी महंगा होगा। फिर डेटा प्रामाणिक भी है क्योंकि आंकड़े जुटाने का मकसद पब्लिक को नहीं बताया गया था।’

एसईसीसी डेटा के उपलब्ध होने से पहले योग्य लाभार्थियों की सही पहचान करना एक बड़ी चुनौती थी। गरीबी रेखा से नीचे के मामले में पूर्वग्रह के आरोपों से असल में गरीब लोगों को स्कीमों के दायरे में लाने की प्रक्रिया प्रभावित हुई थी। एसईसीसी से परिवारों की रैंकिंग उनकी सामाजिक-आर्थिक हैसियत के हिसाब से करने में मदद मिलती है। एसईसीसी 2011 से सरकार को हर पंचायत और तहसील में परिवारों की संख्या, उनके सदस्यों के नाम और विभिन्न सुविधाओं से वंचित होने के सात मानकों पर उनकी स्थिति की जानकारी मिलती है।

सुमित बोस कमिटी का गठन एसईसीसी 2011 के डेटा की वैधता और गरीबों की पहचान में इसकी उपयोगिता के अध्ययन के लिए किया गया था। इस कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ग्रामीण विकास योजनाओं में इस डेटा का उपयोग किया जाना चाहिए। कमिटी ने कुछ मानकों के उपयोग का एक फॉर्मूला दिया, जिनके आधार पर विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान की जाए। इस प्रोजेक्ट में वर्ल्ड बैंक सरकार को तकनीकी सहायता दे रहा है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी ने पिछले महीने एसईसीसी 2011 की लागत 3543 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4893 करोड़ रुपये करने की इजाजत दी थी।

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