संचार एवं आईटी मंत्रालय अलग-अलग हुए, मनोज सिन्हा नए दूरसंचार मंत्री

नई दिल्ली
बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (कम्यूनिकेशन ऐंड इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी मिनिस्ट्री) का अब बंटवारा हो गया है। मनोज सिन्हा ने दूरसंचार (टेलिकॉम) मंत्रालय का कार्यभार संभाला है। दूरसंचार मंत्रालय जल्द ही देश में अब तक की सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम नीलामी का आयोजन करने जा रहा है।

वरिष्ठ बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद को नया विधि एवं न्याय मंत्री बनाया गया है। वह आईटी तथा इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग का कार्यभार देखते रहेंगे। अभी तक प्रसाद के पास संचार और आईटी पोर्टफोलियो दोनों थे। दूरसंचार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पदभार संभालने के बाद सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं दूरसंचार पर अपने विचार परसों रखूंगा।’

सिन्हा उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से लोकसभा सदस्य हैं। सिविल इंजीनियरिंग में एम टेक सिन्हा के दूरसंचार मंत्री के रूप में हाथ पूरी तरह भरे होंगे। भारत में मोबाइल ग्राहकों की संख्या दुनिया में दूसरे नंबर पर है जबकि यहां दरें सबसे कम हैं। इस क्षेत्र में रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर जैसी बड़ी कंपनियां बाजार में दबदबे के लिए प्रतिद्वंद्विता कर रही हैं।

एक तरफ दूरसंचार विभाग सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम नीलामी की तैयारी कर रहा है। इस नीलामी में 5.66 लाख करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए रखा जाएगा। वहीं, दूसरी ओर सिन्हा के सामने कॉल ड्रॉप के मुद्दे को हल करने की भी चुनौती होगी। उच्चतम न्यायालय ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की कॉल ड्रॉप के लिए मुआवजा योजना का खारिज कर दिया है। कॉल ड्रॉप पर अंकुश के लिए ट्राई ने अधिक अधिकार मांगे हैं। इनमें आपरेटरों पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना तथा उनके कार्यकारियों को दो साल तक की जेल की सजा की मांग शामिल है।

सिन्हा के सामने नेट निरपेक्षता से संबंधित नियमन तय करने की भी चुनौती होगी जिसपर काफी समय से बहस छिड़ी हुई है। ट्राई ने नेट निरपेक्षता पर विचार विमर्श पूर्व की प्रक्रिया शुरू की है और उसे इस बारे में अंशधारकों से लिखित टिप्पणियां मिलनी भी शुरू हो गई हैं। पूर्व दूरसंचार मंत्री प्रसाद ने इससे पहले कहा था कि सरकार ट्राई की सिफारिशें मिलने के बाद नेट निरपेक्षता पर निर्णय करेगी। सिन्हा पर उचित दर में टेलीफोनी सेवाएं प्रदान करने और निवेशकों का भरोसा कायम रखने की भी चुनौती होगी।

20 साल बाद यह पहला अवसर है जबकि दूरसंचार मंत्रालय का प्रभार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को दिया गया है। इससे पहले 1996-98 में बेनी प्रसाद वर्मा ने इस मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार संभाला था।

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