लीमन जैसे संकट से भारतीय बैंकों को राजन ने बचाया

क्षितिज आनंद, नई दिल्ली
अगस्त 2013 में रघुराम राजन ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 23वें गवर्नर के तौर पर प्रभार संभाला। उस समय से आरबीआई ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर बैंकिंग सिस्टम में सुधार के कई कदम उठाए हैं ताकि ग्रोथ को बढ़ाया जा सके और एनपीए को कम किया जा सके।

लेकिन, सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या राजन ने भारत में लीमन ब्रदर्स जैसे संकट को टालने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं। सितंबर 2008 में ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंक के दिवालिया होने से दुनिया की वित्तीय स्थिति बुरी तरह चरमरा गई थी। लीमन ब्रदर्स के दिवालियापन की घटना इतिहास की सबसे बड़ी घटना थी।

ऐम्बिट कैपिटल में सीईओ इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज सौरभ मुखर्जी ने ईटी नाऊ को एक इंटरव्यू में बताया, ‘हालांकि आर्थिक रिकवरी इच्छित दर से नहीं हो रही है लेकिन आरबीआई और बैंक बोर्ड ने यह उचित रूप से स्पष्ट किया है कि वे भारत में लीमन संकट पैदा नहीं होने देंगे।’

रघुराम राजन ने मौद्रिक नीति की बैठक से इतर दो सप्ताह पहले खासतौर पर कहा था कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि भारत को लीमन ब्रदर्स जैसे संकट का सामना नहीं करना पड़े।

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