रूरल बिजनस बढ़ाने के लिए सरकार की मदद करेंगी प्राइवेट कंपनियां

रुचिका चित्रवंशी, नई दिल्ली
गांवों में चलने वाले बिजनस और कारीगरों को मार्केट ऐक्सेस देने की एक सरकारी पहल में फैबइंडिया और आईटीसी को शामिल किया गया है। पारंपरिक तरीकों से बने सामान बेचने वाली फैबइंडिया और आईटीसी ग्रुप, रूरल बिजनस और कारीगरों के लिए योजना बनाने में सरकार की मदद करेंगे। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने नैशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन के तहत एक कमिटी बनाई है, जिसका हिस्सा दोनों कंपनियां होंगी। कमिटी इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नीति बनाएगी।

इस बारे में रूरल डिवेलपमेंट सेक्रटरी अमरजीत सिन्हा ने बताया, ‘हम चाहते हैं कि गांवों में रहने वाले कारीगरों की बाजार तक आसान पहुंच हो।’ इस समिति को पूर्व ग्रामीण विकास सचिव जे. के. महापात्रा हेड करेंगे। रूरल डिवेलपमेंट मिनिस्ट्री प्राइवेट सेक्टर की मदद से रूरल लाइवलीहुड प्रोग्राम को मजबूत बनाना चाहती है। यह कदम उसी पहल का हिस्सा है। आईटीसी ग्रुप कई वर्षों से सीधे किसानों से अनाज खरीदता आया है। उसने इसके लिए अपना खरीद का सिस्टम बनाया है। वह देश से ऐग्री-प्रॉडक्ट्स का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक भी है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने हाल ही में ऑनलाइन ग्रॉसरी डिलिवरी प्लेटफॉर्म्स ग्रोफर्स और बिगबास्केट से रूरल ग्रुप से सीधे ऐग्री प्रॉडक्ट्स खरीदने के सिलसिले में बात की थी। बिहार में रूरल लाइवलीहुड के लए जीविका इनिशटिव ने ऐमजॉन के साथ हैंडमेट प्रॉडक्ट्स बेचने के लिए टाइ अप किया है। इसमें जूलरी और मशहूर मधुबनी पेंटिंग्स भी शामिल हैं। केंद्र सरकार दूसरे राज्यों से भी इस तरह की पहल करने के लिए कह रही है।

केंद्र एनआरएलएम के तहत जिला और ब्लॉक स्तर पर जीविका शॉप्स खोलने के लिए फंड देगा। राज्यों से इसके लिए जगह मुहैया कराने को कहा गया है। सरकार इस पहल के जरिए रोजगार के मौके बढ़ाना चाहती है। सरकार चाहती है कि गांव के लोगों को रोजगार की तलाश में अपना घर ना छोड़ना पड़े और ना ही वे रोजी-रोटी के लिए सिर्फ खेती संबंधित कामकाज पर आश्रित रहें।

रूरल डिवेलपमेंट मिनिस्ट्री की कमिटी मैक्रो-इकनॉमिक पॉलिसी, इंडस्ट्री में बदलाव, मार्केट और टेक्नॉलजी की स्टडी के आधार पर एनआरएलएम में बदलाव के बारे में सुझाव देगी। इस मिशन का मकसद 3.5 करोड़ महिला सदस्यों वाले सेल्फ हेल्प ग्रुप का नेटवर्क बनाना है। 2019 तक सरकार ऐसी 40 लाख दुकानें खोलना चाहती है, जिनके महिला सदस्यों की संख्या 4 करोड़ हो। 2015-16 में सेल्फ हेल्प ग्रुप के जरिए लोन ग्रोथ 40 पर्सेंट के साथ 30,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गई। बैंक लिंकेज प्रोग्राम के जरिए यह फंड जुटाया गया। सरकार का मानना है कि इस वित्त वर्ष में 40,000 करोड़ रुपये का लोन इस सेगमेंट में दिया जा सकता है।

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