मार्च तक चाबहार बंदरगाह पर बातचीत पूरी करेगा भारत

चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल को लेकर ज्यादातर मसलों के समाधान के बाद भारत और ईरान इस समझौते को मार्च 2023 तक अंतिम रूप देने की तैयारी में हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के मुताबिक दोनों देशों ने इस प्रस्तावित अहम अंतरराष्ट्रीय समझौते पर बातचीत तेज करते हुए भारत ने इसे चालू वित्त वर्ष के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है।

ईरान के बंदरगाह पर स्थित शहीद बेहिश्ती टर्मिनल भारत के लिए रणनीतिक महत्त्व की परियोजना है। रूस यूक्रेन युद्ध के बाद देश की विदेश नीति वार्ताओं में इसे खास महत्त्व मिला। कई मध्य और दक्षिण पूर्व एशिया के देश अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण ट्रांसपोर्ट गलियारे (आईएनएसटीसी) पर नजर रख रहे हैं, जिससे रूस, भारत और यूरोप के साथ व्यापार हो सके।

यह गलियारा मुंबई को मॉस्को से जोड़ेगा, जो एक मल्टी मोडल ट्रांसपोर्ट नेटवर्क है। इस मामले से जुड़े अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि दोनों देश व्यापक रूप से अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ढांचे के तहत काम करने को सहमत हुए हैं जबकि इसके अंतिम ब्योरे पर कूटनीतिक स्तर पर काम होगा।
इसके पहले बातचीत में तब गतिरोध आ गया था, जब ईरान ने अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ढांचे के तहत काम करने से इनकार कर दिया था। ईरान का कहना था कि इसके लिए संवैधानिक संशोधन की जरूरत होगी, जबकि भारत विवाद समाधान में पारदर्शिता के मसले पर अडिग था।

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अधिकारी ने सलाह दिया कि अगर प्रक्रिया संबंधी बाधाओं को दरकिनार कर दिया जाए तो भारत को अप्रत्याशित न्यायाधिकरण शर्तों पर सहमत होने पर भविष्य में बातचीत को लेकर जोखिम रहेगा। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि समझौते की गति को लेकर सरकार के कुछ हिस्सेदारों में असंतोष है। उन्होंने कहा, ‘यह विचार किया जा रहा था कि अगर पंचाट का मसला सौदे को रोकता है तो हम मसले पर निश्चित रूप से अपनी राय बदल सकते हैं, वहीं दूसरा पक्ष (ईरान) भी वार्ता में तेजी लाने को इच्छुक था।’ इसके अलावा ईरान के रास्ते वस्तुओं की आवाजाही के लिए वित्तीय संस्तानों को समर्थन, जिसे अमेरिका के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है और सीम शुल्क व अन्य शुल्कों में स्पष्टता शामिल है। इन मसलों का समाधान दोनों देशों ने कर लिया है।

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