भारत के महत्वाकांक्षी स्पेस प्रोग्राम से ब्रिटेन में नाराजगी, अखबार ने चलाया है भारत-विरोधी अभियान

लंदन
भारत द्वारा शुरू किए महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम से ब्रिटेन की मीडिया और कई ब्रिटेश सांसद काफी नाराज हैं। भारत ने बुधवार को ऐलान किया था कि अपने रेकॉर्डतोड़ अंतरिक्ष मिशन शुरू करने जा रहा है। भारत की ओर से घोषणा की गई है कि वह बृहस्पति और शुक्र के लिए भी अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू करेगा। भारत की इन योजनाओं से ब्रिटिश मीडिया में काफी नारजगी और वहां भारत के खिलाफ एक अभियान चलाया जा रहा है। ब्रिटिश मीडिया में छपी खबरों में कहा गया है कि भारत को ब्रिटेन की ओर से अरबों की सहायता राशि मिलती है। इन खबरों में भारत की इन अंतरिक्ष योजनाओं को निशाना बनाते हुए कहा गया है कि ब्रिटेन भारत को साढ़े 4 अरब की आर्थिक मदद देता है।

डेली मेल में छपी एक खबर में कहा गया है कि भारत एक ओर तो ब्रिटेन से सहायता राशि लेता है और दूसरी तरफ इतने महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन को शुरू करने की शेखी भी बघारता है। इस खबर की भाषा काफी तल्ख है। मालूम हो कि अगले महीने 103 उपग्रहों को लेकर भारत का एक रॉकेट अंतरिक्ष के लिए रवाना होने वाला है। इसके साथ ही अंतरिक्ष मिशन के क्षेत्र में भारत दुनिया की सबसे अगली पंक्ति में शामिल हो जाएगा। ब्रिटिश अखबारों में भारत की इस उपलब्धि को लेकर काफी चिंता जाहिर की गई है।


डेली मेल ने भारत को ब्रिटेन से मिल रही आर्थिक मदद के खिलाफ एक अभियान भी शुरू किया है…

लिखा गया है कि भारत जिन 103 उपग्रहों को रवाना करेगा, उनमें से ज्यादातर उपग्रह अन्य देशों के हैं। इन्हें अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने के बदले भारत को इन देशों से काफी बड़ी रकम हासिल होगी। खबर में यह भी कहा गया है कि साल 2015 में ब्रिटेन ने विदेशों को जो 15 अरब 48 करोड़ की सहायता राशि दी, उसका ज्यादातर हिस्सा भारत के खाते में गया। खबर में आगे कहा गया है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, लेकिन इसके बावजूद करीब 5 अरब 84 करोड़ की सहायता राशि विभिन्न तरीकों से भारत में भेजी गई। खबर में बेहद तल्ख अंदाज में लिखा गया है कि ब्रिटेन की ओर से भारत को दी गई इस आर्थिक सहायता में वह रकम भी शामिल है, जो कि इतना पैसा किस तरह खर्च किया गया, यह योजना बनाने में भारत की मदद करेगी।

भारत श्रीहरिकोटा से जिस रॉकेट द्वारा 103 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजेगा, उनमें केवल 3 उपग्रह ही भारत के हैं। बाकी उपग्रह अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी सहित अन्य देशों के हैं। अगर यह लॉन्चिंग सफल रहती है, तो भारत एक बार में सबसे ज्यादा उपग्रह छोड़ने वाला देश बन जाएगा। इससे पहले जून 2014 में रूस ने एकसाथ 39 उपग्रह छोड़े थे। भारत की यह लॉन्चिंग अगर सफल रहती है, तो वह रूस को भी काफी पीछे छोड़ देगा। इस खबर में ISRO के सहायक निदेशक एम नागेश्व राव के हवाले से कहा गया है, ‘भारत अन्य ग्रहों पर मिशन भेजने की संभावनाओं पर भी विचार कर रहा है। इन ग्रहों में बृहस्पति और शुक्र शामिल हैं।’

खबर में बताया गया है कि ब्रिटिश सांसद एंड्रयू रोजिनडेल ने कहा, ‘अगर भारत के पास रॉकेट्स के ऊपर खर्च करने के लिए पैसा है, तो हमें यह सवाल पूछना चाहिए कि उन्हें आर्थिक मदद समझदारी है या नहीं।’ एक अन्य सांसद पीटर बोन ने कहा, ‘दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा को देखते हुए मैं नहीं चाहता कि भारत को ब्रिटेन की ओर से और आर्थिक सहायता मिले।’ जून 2016 में भारत ने एकसाथ 20 उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े थे। मई 2016 में भारत ने अपना पहला मिनी स्पेस शटल लॉन्च किया था।

खबर में आगे कहा गया है कि ब्रिटेन दुनिया के उन 6 देशों में से है, जो कि अपने राष्ट्रीय आय का कुल 0.7 फीसद हिस्सा विदेशों को आर्थिक मदद देने में खर्च करते हैं। डेली मेल ने एक अभियान भी शुरू किया है, जिसमें पाठकों को बताया गया है कि भारत को ब्रिटेन की ओर से मदद के तौर पर जो रकम दी जा रही है, उससे कई सारी सामाजिक कल्याण की योजनाओं का पैसा जुटाया जा सकता है। कहा गया है कि भारत को दी जा रही आर्थिक मदद के बराबर रकम से 1 करोड़ 80 लाख लोगों को गर्म खाना खिलाया जा सकता है। इसके अलावा इस रकम से बीमार और बूढ़े गरीब पेंशनर्स के लिए खाने का इंतजाम किया जा सकता है। खबर में कहा गया है कि सरकार के पास फंड की कमी होने के कारण करीब 45 फीसद काउंसिल्स ने 2010 से ही इस योजना में कमी कर दी है। पैसों की कमी के कारण 140 में से करीब 63 अथॉरिटीज ने यह योजना बंद कर दी है।

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