भारत के ‘दखल’ के खिलाफ, नेपाल की 3 बड़ी पार्टियां लामबंद

काठमांडू/दिल्ली

नेपाल के संविधान निर्माण में कथित तौर पर दखल के विरोध में पड़ोसी देश के तीन मुख्य दल भारत के खिलाफ एक हो गए हैं। भारत से करीबी रिश्ते रखने वाली नेपाली कांग्रेस ने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) और यूनिफाइड कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओवादी से हाथ मिला लिए हैं। तीनों दलों का आरोप है कि भारत उनके देश के संविधान निर्माण में दखल देने का प्रयास कर रहा है और उसे अपने मुताबिक तैयार करवाने की कोशिश करता रहा है।

इन तीनों ही दलों के पास नेपाल की 601 सदस्यीय संसद में बहुमत है। नेपाल के मधेशी समुदाय के लोगों की प्रतिनिधित्व और स्वायत्ता में हिस्सेदारी की मांगों को भारत की ओर से समर्थन मिलता रहा है। मधेशी समुदाय के लोगों को बिहार का मूल माना जाता है। यह मुख्यत: मैथिली, भोजपुरी, अवधी, हिंदी और उर्दू जैसी भारतीय भाषाएं बोलते हैं।

एक नेपाली राजनयिक ने कहा, ‘भारत ने नेपाल के एक विशेष वर्ग के प्रति अपना समर्थन जताकर साख गंवाई है। नेपाली लोगों को इससे उबरने में लंबा वक्त लगेगा।’ यह दिलचस्प तथ्य है कि नेपाली कांग्रेस पार्टी की स्थापना 1946 में कोलकाता में ही हुई थी। नेपाली कांग्रेस के कभी भारत से तल्ख रिश्ते नहीं रहे, लेकिन यह पहली बार है, जब उसने भारत के खिलाफ विरोध जताया है।

दूसरी तरफ नेपाल के वामपंथी दल हमेशा से भारतीय नीतियों के विरोध के लिए जाने जाते रहे हैं। लेकिन इस बार नेपाली कांग्रेस और वामपंथी दलों ने हाथ मिला लिए हैं। नेपाल के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों शेर बहादुर देउबा और माधव कुमार नेपाल ने भारत की ओर से सीमा पर अघोषित नाकेबंदी खत्म किए जाने की मांग की है। वहीं, नेपाल के अगले पीएम बनने की दौड़ में शामिल खड्ग प्रसाद ओली ने भी नेपाल के लिए सप्लाई पॉइंट्स बंद किए जाने के लिए भारत की आलोचना की है।

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