ब्रिटेन: हाउस ऑफ लॉर्ड्स में सबसे कम उम्र के भारतीय मूल के सांसद बने गढ़िया, ली ऋग्वेद की शपथ

अरिजित बर्मन. मुंबई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन के करीबी माने जाने वाले जितेश गढ़िया ने बैंकर के पेशे में सफलता के झंडे गाड़ने के बाद सोमवार को ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में सबसे कम उम्र के ब्रिटिश भारतीय सांसद के रूप में शपथ ली। ब्रिटिश संसद के अपर हाउस में भारतीय मूल के लगभग 20 सांसद हैं। गढ़िया ने इसके साथ एक और इतिहास बनाया। उन्होंने क्वीन एलिजाबेथ-II के प्रति वफादारी की शपथ भारत के प्राचीन वैदिक ग्रंथ ऋग्वेद पर हाथ रखकर ली।

ऋग्वेद को दुनिया का सबसे प्राचीन धार्मिक ग्रंथ माना जाता है, जो अभी भी उपयोग किया जाता है। इसका इतिहास 1500 BC से शुरू होता है। गुजरात से संबंध रखने वाले गढ़िया 1972 में दो वर्ष की आयु में उस समय ब्रिटेन आए थे, जब युगांडा से लगभग 50,000 एशियाई लोगों को निकाला गया था। गढ़िया ब्रिटेन और भारत के बीच कुछ बड़ी इन्वेस्टमेंट डील्स में शामिल रहे हैं। पिछले वर्ष नवंबर में लंदन के वेंबले स्टेडियम में मोदी के भाषण को गढ़िया ने ही लिखा था।

वह एबीन और बारक्लेज जैसी यूरोप की बड़ी फाइनैंशल कंपनियों के साथ काम कर चुके हैं। वह टाटा स्टील की ब्रिटेन की कोरस को खरीदने की डील में भी भूमिका निभा चुके हैं। ब्रिटेन की संसद में पिछले कुछ वर्षों से नए सदस्यों को बाइबल के अलावा भी दूसरे धार्मिक ग्रंथ चुनने की अनुमति है, लेकिन इससे पहले किसी भी ब्रिटिश भारतीय ने ऋग्वेद के साथ शपथ नहीं ली थी। गढ़िया ब्रिटिश संसद को ऋग्वेद के 167 वर्ष पुराने संस्करण की प्रति भी उपहार में देंगे, जिसका एक विशेष महत्व है।

इसे 1849 में डॉक्टर मैक्स मुलर ने संपादित और प्रकाशित किया था। मुलर एक मशहूर जर्मन शिक्षक थे, जिन्होंने अपना अधिकांश जीवन ब्रिटेन के ऑक्सफर्ड में बिताया था। वह यूरोप में संस्कृत और वैदिक अध्ययन के चुनिंदा विद्वानों में से एक थे। परंपरागत देवनागरी लिपि में उनके ऋग्वेद संकलन को ईस्ट इंडिया कंपनी की मदद से प्रकाशित किया गया था। ईस्ट इंडिया कंपनी ने उस समय इसके लिए नौ लाख रुपये दिए थे। मुलर का स्वामी विवेकानंद से भी जुड़ाव रहा था, जिनसे वह 1896 में लंदन में मिले थे।

गढ़िया ने कहा, ‘मैं ऐसे समय संसद में शामिल हो रहा हूं, जब ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन अपने इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। मैं ब्रिटेन के फाइनैंशल सर्विसेज सेक्टर के लिए भविष्य में बेहतर संभावनाएं सुनिश्चित करने में मदद करना चाहता हूं। मेरा फोकस भारत और ब्रिटेन सहित हमारे अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध मजबूत करने में योगदान देने पर भी होगा। मैं संसद और सांसदों को ब्रिटिश भारतीयों के साथ भी जोड़ने की कोशिश करूंगा।’

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