नरसिंह के लिए दुखी हैं ओलिंपिक के लिए चुने गए प्रवीण राणा
|यह प्रवीण के लिए किसी सामान्य दिन की ही तरह था। वह दिल्ली के अपने घर से सोनीपत कैंप में गए थे। 74 किलो के इस पहलवान के लिए यह रोज का काम था। वह इस बात को मान चुके थे कि उन्हें हमेशा नरसिंह और सुशील कुमार की परछाई में ही रहना पड़ेगा। प्रवीण को इस बात का भी अंदाजा था कि वह उन्हीं टूर्नमेंटों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे जिसमें ये दोनों मुख्य पहलवान भाग नहीं लेंगे।
पर शाम को आए एक फोन ने प्रवीण के लिए सबकुछ बदल दिया। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में प्रवीण ने कहा, ‘मैं रोज की तरह ट्रेनिंग खत्म कर घर लौटा ही था कि मुझे रेसलिंग फेडरेशन से एक फोन आया। मुझे कहा गया जल्दी अपना बैग पैक करो और जॉर्जिया जाने की तैयारी करो, जहां भारतीय पहलवान ओलिंपिक से पहले तैयारी कर रहे हैं। मैंने फौरन अमेरिका के लिए फ्लाइट पकड़ी।’ उन्होंने कहा कि एक पहलवान के तौर पर मैंने हमेशा कड़ी मेहनत की है। मैं बड़े आयोजनों में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहता था लेकिन यह इस तरह होगा इसकी उम्मीद नहीं थी।
रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का कहना है कि राणा को चुनने से 74 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का कोटा सुरक्षित रहेगा। रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के एक अधिकारी ने कहा कि कोटा पूरा करने की डेडलाइ 25 जुलाई थी। अगर हम इस तारीख तक नाम की घोषणा नहीं करते तो कोटा खो बैठते। उन्हें इस बात की भी उम्मीद है कि जांच पूरी होने के बाद नरसिंह को क्लीन चिट मिल जाएगी और ऐसे में राणा टॉप रैंक पहलवान के लिए जगह खाली कर देंगे।
राणा ने पिछले महीने अमेरिका में वर्ल्ड कप में भाग लिया था और उनके पास 10 वर्ष की वैधता वाला वीजा है।
दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती का ककहरा सीखने वाले 24 वर्षीय इस पहलवान ने कहा कि उन्हें नरसिंह के लिए बुरा लग रहा है। उन्होंने कहा, ‘यह मेरे लिए एक बड़ा अवसर है लेकिन यह इस तरह मिला है कि मैं इसे सेलिब्रेट भी नहीं कर सकता। मुझे नरसिंह के लिए बुरा लग रहा है। उन्होंने बहुत मेहनत की थी। मुझे लगता है कि मुझे देश के लिए मेडल जीतने की पूरी कोशिश करनी चाहिए ताकि देश को सेलिब्रेट करने का मौका मिल सके।’
राणा ने 2008 जूनियर वर्ल्ड कप में कांस्य पदक और एशियन कैडट चैंपियनशिप जीतने के बाद अपनी लय बरकरार रखी है। लेकिन उन्हें वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलिंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका कभी नहीं मिला। प्रवीण हालांकि लगातार ट्रेनिंग करते रहे। उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग कैंप में की गई मेहनत का उन्हें ओलिंपिक्स में फायदा होगा। उन्होंने कहा, ‘मैं नैशनल कैंप का हिस्सा हूं तो मैं नियमित रूप से प्रैक्टिस करता हूं। दिसंबर में एक वर्ल्ड चैंपियनशिप भी है मुझे उसके लिए भी तैयारी करनी है। तो मुझे लगता है कि ओलिंपिक के लिए मेरी तैयारी अच्छी है।’
राणा पिछले साल लास वेगस में खेली गई वर्ल्ड चैंपियनशिप की दौड़ में भी थे। यह रियो के लिए एक क्वॉलिफाइंग टूर्नमेंट था लेकिन इस दौड़ में वह नरसिंह से पिछड़ गए। नरसिंह ने इस टूर्नमेंट में कांस्य पदक जीतकर 74 किलोग्राम भारवर्ग में भारत के लिए ओलिंपिक कोटा बुक किया था।
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