दिल्ली सरकार ने माने उपराज्यपाल के सुझाव, वैट बिल दोबारा सदन में

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और आप सरकार के बीच लगातार तकरार की शिकायतें मिल रही हैं और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। लेकिन हकीकत यह भी है कि उपराज्यपाल के आदेशों को दिल्ली सरकार चुपचाप मान भी रही है और उनके द्वारा बताए गए रास्ते पर अमल भी कर रही है।

इस मसले पर वैट संशोधन (विधेयक) बिल पर सरकार ने राजनिवास के कहे आदेशों का पालन किया है और उसे पारित करने के लिए राजनिवास की संस्तुतियों का पूरी तरह पालन किया है।

दिल्ली विधानसभा में कल दिल्ली वैट संशोधन बिल पेश किया गया। इस बिल को पेश करते हुए वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने जानकारी दी कि सरकार अपने राजस्व को बढ़ाने के लिए इस विधेयक में संशोधन करने जा रही है, ताकि टैक्स चोरी रुके, टैक्स चोरी करने वाले कारोबारियों पर शिंकजा कसे साथ ही कुछ मामलों में उन्हें राहत भी मिले।

उन्होंने सदन को जानकारी दी कि इस संशोधित बिल को विधानसभा में पिछली बार पारित कर उपराज्यपाल नजीब जंग के पास लागू करने के लिए भेजा गया था। लेकिन उपराज्यपाल ने इसे पारित करने के बजाय दिल्ली सरकार को लौटा दिया था और कहा था कि इसको भेजते वक्त नियमों का पालन नहीं किया गया। जिसके बाद सरकार को यह बिल दोबारा से सदन में लाना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि उपराज्यपाल की ओर से हमें जो आदेश मिला था वह यह था कि इस बिल को विधानसभा में पेश करने और पारित कराने से पहले उसे राजनिवास से पारित कराना जरूरी है। उनके आदेश के बाद सरकार ने इस बिल को पेश करने से पहले उसे भेजकर उपराज्यपाल से विधानसभा में पेश करने की इजाजत मांगी, उनकी अनुमति के बाद इसे दोबारा से सदन में पेश किया जा रहा है।

सूत्र बताते हैं कि जब राज्यपाल ने इस बिल को बैरंग भेजा था, उसके बाद सरकार ने अपने विधि विभाग से सलाह मांगी थी। विभाग ने कहा था कि चूंकि इस बिल में कुछ वित्तीय प्रावधान हैं, इसलिए केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण इसे सबसे पहले राजनिवास को दिखाना होगा। जिसके बाद सरकार ने उपराज्यपाल पर कोई आरोप लगाए बिना उसे दोबारा सदन में पेश कर दिया।

इस संशोधन बिल में जो प्रावधान रखे गए हैं, उसके अनुसार दोषी कारोबारी पर मौके पर ही वैट वसूला जा सकेगा। इसके अलावा अब उसे अपना रिटर्न वापस करते वक्त उसकी हार्ड कॉपी विभाग में जमा नहीं करानी होगी। पहले ऐसा न करने पर रिटर्न फाइल रद्द कर कर दिया जाता था।

वैट संशोधन में जो नियम हैं, उसके अनुसार अब वैट से जुड़ी छोटी-मोटी गलतियों पर 10 हजार रुपये जुर्माने के बजाए मात्र एक हजार रुपये किया जा रहा है। सरकार का मानना है कि इन संशोधनों के बाद उसके राजस्व में खासी बढ़ोतरी होगी और वह वैट टारगेट को पूरा कर लेगी।

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