केजरीवाल के सेक्रटरी पर आशीष जोशी ने लगाए गंभीर आरोप

प्रमुख संवाददाता, नई दिल्ली

दिल्ली डायलॉग कमिशन (डीडीसी) के पूर्व सेक्रटरी आशीष जोशी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सेक्रटरी राजेंद्र कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उनकी शिकायत एंटी करप्शन ब्रांच (एसीबी) से की है। सूत्रों का कहना है राजेंद्र कुमार के खिलाफ एसीबी जांच शुरू कर सकता है। उल्लेखनीय है कि आशीष जोशी का ‘आप’ नेता आशीष खेतान से खुलेआम विवाद हुआ था। ब्यूरोक्रेट जोशी को आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड (डीयूएसआईबी) के मेंबर (फाइनेंस) पद से अचानक हटाते हुए उन्हें वापस केंद्र सरकार में भेज दिया गया था, जिसकी वजह से भी विवाद हुआ था।

आशीष जोशी ने अब एंटी करप्शन ब्यूरो के जॉइंट सीपी एम. के. मीणा को लेटर लिखकर राजेंद्र कुमार पर करप्शन के आरोप लगाए हैं, जिसमें कुमार पर एजुकेशन और आईटी डिपार्टमेंट में अपने कार्यकाल के दौरान बेनामी कंपनियां बनाकर वित्तीय अनियमितता किए जाने की बात कही गई है। जोशी ने शिकायत में लिखा है, ‘मेरे डीयूएसआईबी का चीफ डिजिटाइजेशन ऑफिसर रहने के दौरान मुझे आईटी विभाग से जुड़े राजेंद्र कुमार की भ्रष्ट गतिविधियों का पता चला।’ बकौल जोशी, ‘मुझे दिल्ली सरकार द्वारा डीओपीटी के साल-2010 के आदेशों का उल्लंघन करते हुए एकाएक अपने पद से हटा दिया गया। बाद में मैंने राजेंद्र कुमार और अन्य लोगों के खिलाफ संसद मार्ग और आईपी एस्टेट पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज कराई।’

जोशी ने लेटर में कहा है कि राजेंद्र कुमार 10 मई 2002 से लेकर 10 फरवरी 2005 तक डायरेक्टर (एजुकेशन) रहे। इस दौरान उन्होंने तिमारपुर में कंप्यूटर लैब बनाते हुए अशोक कुमार नाम के शख्स को इसका इंचार्ज नियुक्त किया। बाद में राजेंद्र कुमार ने दिनेश कुमार गुप्ता और संदीप कुमार के साथ मिलकर एंडीवर्स सिस्टम प्रा. लि. नाम से कंपनी बनाई। गुप्ता एजुकेशन विभाग को स्टेशनरी आइटम्स की सप्लाई करते थे। संदीप कुमार, अशोक कुमार से जुड़े हुए हैं। अहम यह है कि अशोक कुमार ने 2009 में सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। अशोक कुमार डीएएसएस कैडर से हैं और उन्होंने राजेंद्र कुमार के साथ लंबे समय तक काम किया है।

पत्र के मुताबिक, साल-2007 में राजेंद्र कुमार दिल्ली सरकार में सेक्रटरी (आईटी) बने और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने एंडीवर्स प्रा. लि. कंपनी को एक पीएसयू (लोक उपक्रम) के साथ इम्पैनल करा लिया, जिससे कि उनकी कंपनी बिना किसी टेंडर के ही सरकारी विभागों के साथ डील कर सके। आरोप है कि बिना टेंडर के काम आवंटित किए जाने से दिल्ली सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ। जोशी ने मामले में राजेंद्र कुमार व बाकी लोगों तथा इसमें शामिल कंपनियों के गठजोड़ की जांच करने की मांग की है।

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