भंसाली की भांजी शर्मिन को देने पड़े 17 बार ऑडिशन:ऋचा ने अपनी भूमिका के लिए मीना कुमारी और नरगिस को फॉलो किया

संजय लीला भंसाली वेब सीरीज ‘हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ के जरिए 1940 के दशक के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की उथल-पुथल भरी पृष्ठभूमि पर आधारित तवायफों और उनके संरक्षकों की वास्तविकता को पेश करने जा रहे हैं। इस सीरीज को लेकर पिछले दिनों ऋचा चड्डा, शर्मिन सहगल और संजीदा शेख ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। शर्मिन सहगल, भंसाली की भांजी हैं। उन्होंने बताया कि इस किरदार के लिए उन्हें 17 बार ऑडिशन देने पड़े। ऋचा ने बताया कि लज्जो की भूमिका के लिए उन्होंने मीना कुमारी और नरगिस को फॉलो किया है। ऋचा, आप इस सीरीज में लज्जो का रोल अदा कर रही हैं, यह रोल सच्चे आशिकों के लिए एक ट्रिब्यूट है। जब आपको इस रोल के बारे में बताया गया तो आपका क्या रिएक्शन था ? जब मैं पहली बार संजय सर के ऑफिस गई थी तब मुझे किसी और किरदार के लिए बुलाया गया था। उस समय सीरीज को संजय सर के साथ कोई और डायरेक्ट कर रहा था। लेकिन तब बात नहीं बनी थी। जब मैं दोबारा मिलने गई तो संजय सर ने बताया कि इस किरदार को तुम्हें सोचकर लिखा है। मैं पिक्चराइज कर रहा था कि तुम यह किरदार कर पाओगी की नहीं। लेकिन मुझे लगता है कि तुम कर लोगी। बस इतनी सी बात हुई थी,उसके बाद थोड़ी सी गप्पे मारी, बस हो गया। मुझे संजय सर के साथ काम करके बहुत मजा आया। मुझे लगता है कि उनका जो अप्रोच रहा है, बहुत सक्सेस रहा है। शर्मिन, आपका आलमजेब का बहुत ही प्यारा और संजीदा किरदार है। जब इस तरह का किरदार निभाने का मौका मिलता है तो उसे कैसे निभाते हैं कि स्टैंड आउट कर पाए ? यह किरदार बहुत ही अलग है। जब आप ऐसे किरदार निभाते हैं तो खुद ही स्टैंड आउट हो जाता है। दूसरी बात यह है कि आलमजेब और शर्मिन में कोई समानता नहीं है। दोनों बहुत ही अलग – अलग किस्म के इंसान हैं। संजीदा किरदार निभाने में मुझे थोड़ी मेहनत लगी। थोड़ी बहुत एक्टिंग कर ली। स्टैंड आउट कैसे करते हैं,वो तो डायरेक्टर पर इतना विश्वास होता है कि हर कैरेक्टर को वो निखारेंगे। इस मामले में हम सब संजय सर पर आंख बंद करके विश्वास करते हैं। एक एक्टर के तौर पर मुझे हमेशा पावरफुल रोल करने की भूख होती है। लोग बात करते हैं कि यह फीमेल ऑरिएन्टेड सब्जेक्ट हैं, लेकिन औरतों के कई रूप होते हैं। जो आलमजेब के किरदार में दिखा है। आलमजेब के किरदार के लिए संजय लीला भंसाली से कब मिलना हुआ ? भले ही मैं उनकी भांजी हूं और इस वजह से मिलते रहते हैं। लेकिन उनकी पूरी पर्सनल जिंदगी ही फिल्म है। इस किरदार के बारे में उनसे एक या दो बार बात नहीं हुई है। वो हमेशा किरदार ढूंढते रहते हैं। वो सोचते थे कि क्या मैं यह किरदार कर सकती हूं। मेरी भी बहुत इच्छा थी कि इस किरदार को निभाने का मौका मिले। मुझे 17 बार ऑडिशन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। मुझे निगेटिव – पॉजिटिव दोनों फीडबैक मिले। मैं खुद को बहुत प्रिविलेज मानती हूं कि यह किरदार निभाने का मौका मिला। शूटिंग के सिर्फ 15 – 16 दिन बचे थे तब मुझे पता चला कि यह किरदार निभा रही हूं। संजीदा, आप का वहीदा के किरदार में जो रेंज है, उसमें प्यार भी है, जलन और दुख भी है। आपने इस किरदार में पूरी तरह से अपनी जी जान लगा दी है? यह बहुत अच्छी बात है कि आपको पसंद आया। एक्टर के तौर पर हमारा जॉब होता है कि डायरेक्टर के विजन को एक्जीक्यूट करें। हम अपना 200 परसेंट दें। यह चैलेंज हमारे सामने था। इससे बड़ा चैलेंज मेरे सामने यह था कि संजय सर ने वहीदा के किरदार के लिए मुझे कैसे सोचा? मैं उस मुकाम थी जहां मुझे ऑडिशन के बिना काम नहीं मिल सकता था। क्योंकि मैं ऐसे बैकग्राउंड से आती हूं, जहां इस तरह के प्रोसेस से गुजरना पड़ता था। यहां मुझे इंडस्ट्री से सबसे रिस्पेक्टफुल मेकर मिले, जिन्होंने मेरे अंदर वो काबिलियत देखा कि इतना कॉम्प्लिकेटेड किरदार मैं निभा पाऊंगी। सेट पर कैसा माहौल रहता है, आप तीनों अपने – अपने अनुभव शेयर कीजिए ? संजय सर ‘के आसिफ’ की लिगेसी को लेकर आगे जा रहे हैं – ऋचा चड्डा मुझे तो बहुत मजा आता है। मैं खुद को डायरेक्टर के सामने सरेंडर कर देती हूं। संजय सर के हार्ड टास्क मास्टर वाली बात जहां तक मुझे लगता है कि वह सही है। आज कल एक्टर बहुत लेजी भी हो गए हैं। उन्हें पता चल जाता है कि अगर 50 का लेंस लगा है तो कैसे एक्टिंग करनी है। लेकिन संजय सर की खासियत यह है कि शॉट कैसा भी लगा हो, वो चाहते हैं कि एक्टर पूरे शरीर के साथ समर्पण से एक्टिंग करे। खास करके जब आप पीरियड फिल्में कर रहे हैं। संजय लीला भंसाली ऐसे मेकर हैं, जो ‘के आसिफ’ की लिगेसी को लेकर आगे जा रहे हैं। आज उनके आस पास कोई नहीं है। संजय सर के मेथड को फालो करते हैं – शर्मिन सहगल सेट पर सब लोग संजय लीला भंसाली के मेथट को फॉलो करते हैं। हम सबकी मेहनत और एनर्जी उसी दिशा में जा रही थी। हमारी सोच यही रहती कि संजय लीला भंसाली को प्राउड बनाए और वो हमारी परफॉर्मेंस से खुश रहें। उस जमाने की तहजीब पकड़ने में हम लोग कहीं न कहीं खो जाते थे। संजय सर उस माहौल में बहुत खुश हो जाते हैं। संजय सर के लिए काम ही पूजा है – संजीदा शेख सेट पर यह सोचकर घुसती थी कि आज कुछ नया सीखने को मिलेगा। संजय सर की बातें और अनुभव सुनेंगे। हर एक्टर का ख्वाब होता है कि संजय लीला भंसाली सर के डायरेक्शन में काम करे। उनके साथ काम करने का प्रोसेस बहुत अच्छा है। सब लोग उनको टास्क मास्टर बोलते हैं। लेकिन वो अपने काम के प्रति बहुत ही ईमानदार हैं। वो अपने काम से प्यार करते हैं। उनके लिए काम ही पूजा है। जब वो सेट पर आते हैं तो ऐसा लगता है कि पहली बार सेट को देख रहे हैं। वो खुद को खुद से बेहतर करना चाहते हैं। इस सीरीज में इंटेन्स हैं, डांस है, हैवी ड्रामा है, उर्दू जुबान है। आप तीनों के लिए बहुत ही अलग तरीके से तैयारी रही होगी, वो तैयारी क्या थी ? संजय सर ने मुझे मीना कुमारी का होम वर्क दिया था – ऋचा चड्डा उर्दू डिक्शन के लिए सेट पर मुनीरा मैडम थी। बाकी हर एक्टर को संजय सर ने होम वर्क दिया था। मुझे मीना कुमारी का होम वर्क दिया था। जिस तरह से उनकी आवाज में दर्द था, वही टोन पकड़कर मैं अपना डायलॉग बोलती थी। डांस के लिए संजय सर बहुत ही स्ट्रिक हैं। मेरे गाने में बहुत ज्यादा इमोशंस थे। उसके लिए मैंने मीना कुमारी, नरगिस जी को स्टडी किया। इसलिए उस किरदार का दर्द निकल कर आया। परदे पर भले ही इस तरह का किरदार निभाया है, जिसे पति दे दर्द मिला है। लेकिन मेरे रियल लाइफ में पति बहुत अच्छे हैं, बहुत खुशी देते हैं। किरदार के लिए अपनी आवाज और आंख पर फोकस की – शर्मिन सहगल मैंने दो साल तक कथक और एक साल उर्दू सीखा है। इसके अलावा मैंने संजय सर के साथ काम करके जो सीखा है। बोलते थे कि वो घर पर छोड़कर आ जाओ। मैंने अपने किरदार के लिए अपनी आवाज और आंख पर फोकस की। इमोशंस मैंने आंखों और आवाज से निकालने की कोशिश की। इसलिए आलमजेब का किरदार बहुत संजीदा लगता है। हर दिन कुछ ना कुछ डिस्कवर करती थी – संजीदा शेख मैंने जो भी तैयारी की है वो सेट पर ही की है। हर दिन कुछ ना कुछ डिस्कवर करती थी। उर्दू तो हमारी भाषा रही है। मुझे अच्छा लगा कि ऐसा शो करने का मौका मिला, जहां पर उर्दू मे बात करते हैं। अगर उर्दू नहीं भी बोल पाती थी तो संजय सर उसे चेंज भी कर देते थे। उनका कहना था कि कुछ भी बनावटी नहीं, बल्कि नेचुरल लगना चाहिए। बहुत ही सुंदर जर्नी रही है। आप सब की संजय लीला भंसाली की फेवरेट फिल्म कौन सी है ? ऋचा चड्डा ने कहा – मैंने जब गुजारिश देखी थी तब दंग रह गई थी। यह बहुत ही मुश्किल फिल्म है, क्योंकि हसीन हीरो हर वक्त लेता रहता है। संजीदा शेख ने बताया – मुझे ब्लैक फिल्म बहुत पसंद है। शर्मिन सहगल ने कहा – मुझे देवदास बहुत पसंद है।

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