कूड़े का प्रबंधन जरूरी, प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण पराली

विशेष संवाददाता, नई दिल्ली

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन व पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने आज सुबह भलस्वा सेनिटरी लैंडफिल का दौरा किया और माना कि इस लैंडफिल के कूड़ा का प्रबंधन करके ही प्रदूषण से निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि लैंडफिल पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है। उनका यह भी मानना है कि पड़ोसी राज्यों के खेतों में जल रही पराली राजधानी के पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गई है।

दोनों मंत्रियों के साथ इस दौरो में संबंधित विभागों के आला अफसरों के अलावा एमसीडी के आला अधिकारी भी मौजूद थे। मंत्रियों ने इस बात पर गहरी नाराजगजी जताई कि इस लैंडफिल में हमेशा आग लगी रहती है। लैंडफिल में फैली आग और कूड़े की बदबू से इलाके में गंभीर प्रदूषण फैल रहा है। सत्येंद्र जैन के अनुसार एमसीडी ने आश्वासन दिया है कि 15 दिन के भीतर इस आग पर काबू पा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का प्रयास इस कूड़े के निपटारे का है। कोशिश हो रही है कि इस लैंडफिल के कूड़े का 50 से 60 प्रतिशत हिस्सा सड़क बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाए तो करीब 30 पर्सेंट हिस्से से एनर्जी बनाने की कवायद हो। इसके लिए लगातार काम किया जा रहा है।

प्रदूषण के मसले पर एनजीटी ने दिल्ली सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने एनजीटी पर कमेंट नहीं किया लेकिन माना कि प्रदूषण दिल्ली के लिए गंभीर संकट बना हुआ है और ये कूड़े के पहाड़ और परेशानी पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्यों के खेतों में पराली में लगाई जा रही आग दिल्ली के पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बनी हुई। इसके कारण दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में करीब 500 किलोमीटर तक धुएं के बादल छाए हुए हैं। इस मसले पर दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है और कहा कि इस पराली के धुएं से निजात के लिए ठोस उपाय किए जाएं। स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार सरकार ने प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के इलाज के लिए सभी अस्पतालों में इलाज की सुविधा मुहैया करा रखी है। लेकिन हमें यह मानना होगा कि प्रदूषण से निपटने में समय लगेगा।

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