कानपुर रेल हादसाः डीआरएम बोले रेल फ्रैक्चर, एक्सपर्ट ने किया खारिज

कानपुर
उत्तर-मध्य रेलवे के डीआरएम संजय कुमार ने कहा है कि रूरा स्टेशन के पास ट्रैक फ्रैक्चर के सबूत मिले हैं, हालांकि यह जांच के बाद पता चलेगा कि यह फ्रैक्चर ऐक्सिडेंट की वजह था या नहीं। वहीं रेलवे बोर्ड के एक पूर्व मेंबर ने इन दावों को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि लापरवाही के अलावा दूसरा फैक्टर मेंटिनेंस के लिए बजट की कमी है। ट्रेन डीरेल तब होती है, जब ट्रैक और कोच दोनों में खराबी हो।

डीआरएम संजय कुमार पंकज ने एनबीटी से बातचीत में शुक्रवार को कहा कि रूरा के पास ट्रैक फ्रेक्चर के सबूत मिले हैं, लेकिन यह जांच के बाद ही तय होगा कि क्या यह फ्रेक्चर ही हादसे का कारण है। हालांकि पिछले कुछ दिनों में उस सेक्शन में कोई फ्रैक्चर नहीं मिला था और न ही कोई कॉशन लगा था।

अफसर बरगला रहे
रेलवे बोर्ड से रिटायर्ड एक अधिकारी के मुताबिक, रूरा में ऐक्सिडेंट स्टेशन पर हुआ। हर ट्रेन के आने के पहले एक कर्मचारी सब कुछ चेक कर ऑल क्लियर का सिग्नल देता है। अहम बात यह है कि क्या उस दिन ऑल क्लियर सिग्नल आया था। अगर पटरी टूटी तो स्टेशन के पास पैट्रोलिंग टीम इसे खोज क्यों नहीं सकी। पटरी चटकने की आवाज भी आती है। क्या इसे किसी ने नहीं सुना। स्टेशन पर तो कर्मचारी हर वक्त जागते हैं। वह कहते हैं, ट्रेन तभी डीरेल होती है, जब कोच और ट्रैक दोनों में गड़बड़ियां हो। इसक प्रतिशत कुछ भी हो सकता है। दोनों में किसी एक के दुरुस्त होने पर डीरेलमेंट कभी नहीं होता। रेलवे अफसर सिर्फ बरगला रहे हैं।

सुरक्षा मानकों का पालन नहीं
वास्तविक समस्या यह है कि रेलवे की खराब माली हालत के कारण मरम्मत के बजट में कटौती हुई है। इससे न अफसर रखरखाव की ओर ध्यान दे रहे हैं और न ही कोई बजट मिल रहा है। रेलवे की तकनीकी बातों को जानने वालों को पता है कि हर साल अप्रैल-मई, अगस्त-सितंबर और नवंबर-दिसंबर का महीना डीरेलमेंट के खतरे वाला होता है। ऐसे में सेफ्टी स्टैंडर्ड का पालन न होना बेहद गंभीर बात है। रेलवे के पास या तो आदमी नहीं हैं या मटीरियल की कमी है। दोनों ही हालात में रुपयों की जरूरत है।

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