कागज रहित लेनदेन वाला साल होगा 2018

आदिल शेट्टी
कुछ नोटों का चलन बंद होने के साथ नकद पैसों के बिना और डिजिटल तरीके से लेनदेन करने की तत्काल जरूरत आन पड़ी है। नकद पैसे की गैर-मौजूदगी में कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इन परेशानियों की वजह से डिजिटल फाइनैंस का लाभ भी मिल रहा है। हम लोग एक ऐसे भविष्य की तरफ बढ़ रहे हैं जहा हम घर बैठे अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल करके बैंक अकाउंट, इंश्योरेंस, म्यूचुअल फंड्स, और लोन जैसे फाइनैंशल प्रॉडक्ट खरीद सकते हैं, जिसके लिए नकद पैसे की, कागजातों की और यहाँ तक कि खुद मौजूद रहने की भी जरूरत नहीं है। यह कोई वैज्ञानिक-काल्पनिक परिदृश्य नहीं है। यह आज एक हकीकत बन चुका है। इंटरनेट और स्मार्टफोन की मौजूदगी के कारण पेपरलेस फाइनैंस में काफी तेजी आई है। चलिए, पेपरलेस फाइनेंस की अतिमहत्वपूर्ण विशेषताओं पर एक नजर डालते हैं, और यह जानने की कोशिश करते हैं कि पैसों का हिसाब-किताब रखने के तरीके में किस तरह बदलाव आने वाला है।

आधार के माध्यम से ई-केवाईसी
अकाउंट खोलने की प्रक्रिया, फाइनैंस कंपनियों के साथ-साथ ग्राहकों के लिए भी बेहद चुनौतीपूर्ण होती है। ग्राहकों के नजरिए से देखने पर, आधार ओटीपी के माध्यम से ई-केवाईसी करने से कई समस्याओं का हल हो सकता है। पारंपरिक केवाईसी प्रक्रिया के अनुसार वेरिफिकेशन के लिए एकाधिक कागजी दस्तावेज जमा करने की जरूरत ख़त्म हो सकती है। अपनी आधार आईडी का इस्तेमाल करके ग्राहक ओटीपी के आधार पर तुरंत वेरिफिकेशन के माध्यम से नए अकाउंट खोलने में सक्षम हो सकते हैं। ई-केवाईसी आज एक हकीकत बन चुका है। आप आधार आधारित ओटीपी के माध्यम से ई-केवाईसी का इस्तेमाल करके 100,000 रुपये तक का एक डिपोजिट अकाउंट या 60,000 रुपये तक का एक लोन अकाउंट खोल सकते हैं। फाइनैंस इंडस्ट्री को उम्मीद है कि आने वाले समय में यह सीमा बढ़ा दी जाएगी ताकि इस तरह अधिक से अधिक संख्या में अकाउंट खोले जा सकें।

ई-साइन
जब भी आप कोई नया अकाउंट खोलते हैं, आपको अपने आवेदन पर खुद अपने हाथ से हस्ताक्षर करना पड़ता है। फाइनैंस इंडस्ट्री की भाषा में, इसे ‘वेट सिग्नेचर’ कहा जाता है। नियमों में संशोधन करके उनकी जगह ई-साइन का इस्तेमाल किया जा सकता है। इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी ऐक्ट 2000, और निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स (अमेंडमेंट) सेकंड ऑर्डिनेंस 2015 के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर को मान्यता मिल गई है और इंडियन एविडेंस ऐक्ट 1872 के अनुसार डिजिटल हस्ताक्षर/ई-हस्ताक्षर की प्रमाणिकता मान्य हो गई है। इसका मतलब है कि आप दस्तावेजों पर इलेक्ट्रॉनिक तरीके से हस्ताक्षर कर सकते हैं, लेकिन इस इंडस्ट्री को अभी भी ई-साइन को अपनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से एक स्पष्ट दिशानिर्देश का इंतजार है। ई-साइन का इस्तेमाल बढ़ रहा है। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कान्त ने हाल ही में टिप्पणी की थी कि पिछले 20 साल में 18 मिलियन की तुलना में पिछले दो साल में 21 मिलियन ई-साइन प्रमाणीकरण किए गए हैं, लेकिन एक ग्राहक होने के नाते आपके लिए इसका क्या मतलब है?

मौजूदगी-रहित फाइनैंस
कैशलेस फाइनैंस के मौजूदा तरीकों (जैसे यूपीआई) के साथ-साथ ई-केवाईसी और ई-साइन की सुविधा मिलने से आपके लिए ब्रांच में उपस्थित हुए बिना या यहां तक कि फाइनैंस कंपनी के किसी प्रतिनिधि से मुलाकात किए बिना नए अकाउंट खोलना संभव हो जाएगा। अब आप डिजिटल तरीके से फाइनैंस मिलने के परिणामों पर विचार कर सकते हैं। भारत जैसे एक विशाल देश में नए ब्रांच खोलने या प्रतिनिधियों को ग्राहकों तक पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। डिजिटल फाइनैंस की मदद से कोई भी व्यक्ति अपने आधार लिंक्ड सेलफोन का इस्तेमाल करके तुरंत नए अकाउंट खोल सकता है।

यह क्यों मायने रखता है?
इंटरनेट के माध्यम से पेपरलेस फाइनैंशल प्रॉडक्ट डिलिवर किया जा सकता है। इससे कागजी केवाईसी के माध्यम से स्वयं ग्राहकों के पास आने-जाने का खर्च बच जाता है। स्वयं ग्राहक द्वारा हस्ताक्षर न किए जाने के कारण आखिरी समय में होने वाली कठिनाइयों से छुटकारा मिल जाता है और नए ब्रांच ऑफिस और एटीएम स्थापित करने की जरूरत ख़त्म हो जाती है। बैंकिंग प्रॉडक्ट्स के लिए 2-3% और इंश्योरेंस प्रॉडक्ट्स के लिए 20-30% तक लागत संबंधी बचत हो सकती है जिसका लाभ अंत में ग्राहकों को दिया जा सकता है।

हमारे देश में एक बिलियन से ज्यादा लोगों के पास एक सेलफोन या एक आधार (या दोनों) है। इन दो साधनों की मदद से अधिक से अधिक लोग औपचारिक बैंकिंग का लाभ उठा सकते हैं और अपनी बेहतरी के लिए पैसे बचा सकते हैं, इंश्योरेंस ले सकते हैं, और निवेश कर सकते हैं।

(लेखक BankBazaar.com के सीईओ हैं)

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