ब्रांचों में रकम रख रहे हैं बैंक, अब भी सूखे पड़े हैं दो-तिहाई एटीएम

रशेल चित्रा/मयूर शेट्टी, मुंबई/चेन्नै
भले ही देश भर में एटीएम की लाइनों के अब छोटे होने की बात कही जा रही हो, लेकिन दो-तिहाई एटीएम में अब भी पैसा नहीं है। शुक्रवार तक यह स्थिति थी कि पूरे देश के करीब 66 पर्सेंट एटीएम सूखे थे। इसकी वजह यह है कि बैंकों के पास जो कैश आ रहा है, उसे वह एटीएम में डालने की बजाय ब्रांच पर कामकाज के लिए रख रहे हैं। कनफेडरेशन ऑफ एटीएम इंडस्ट्री के प्रेजिडेंट संजीव पटेल ने कहा, ‘हमारे कैश का अनियमित फ्लो रहा है। लेकिन हमने जब बहुत अच्छा प्रयास किया, उस वक्त भी देश भर में 30 पर्सेंट यानी करीब 66,000 एटीएम ही एक वक्त में पैसा निकालने में सक्षम रहे हैं।’

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कनफेडरेशन ऑफ एटीएम के मुताबिक नोटबंदी के दो महीने बीत जाने के बाद भी देश में मौजूद 2.2 लाख एटीएम में से 20 पर्सेंट में ही नियमित तौर पर कैश डाला जा रहा है। नोटबंदी से पहले हर एटीएम में 7 से 8 लाख रुपये तक का कैश हर दिन डाला जाता है, लेकिन 8 नवंबर के बाद से यह आंकड़ा 2 से 3 लाख तक ही रह गया है। एनसीआर कॉर्पोरेशन के इंडिया और साउथ एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टर नवरोज दस्तूर के मुताबिक, ‘जिन लोगों को अधिक राशि की जरूरत है, वे बैंक जाकर 24 हजार रुपये तक निकाल सकते हैं। दूसरी तरफ एटीएम के बाहर लंबी लाइनें लगी हुई हैं।’

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दस्तूर ने कहा, ‘जितनी रकम में बैंक अपनी ब्रांच पर एक ग्राहक को सेवा देते हैं। उतनी रकम में एटीएम से 10 लोगों का काम चल सकता है।’ यही नहीं बैंकों की ओर से एक घंटे में जितनी ट्रांजैक्शंस होती हैं, एटीएम पर उतने ही वक्त में दोगुनी ट्रांजैक्शंस को अंजाम दिया जा सकता है। ऑपरेटर्स के मुताबिक स्टेट बैंक की ओर से लगातार एटीएम में नोट डाले जा रहे हैं। दूसरी तरफ निजी बैंक ज्यादा से ज्यादा रकम अपनी शाखाओं में रख रहे हैं।

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