कांग्रेस ने की AAP के एन. डी. गुप्ता की राज्यसभा उम्मीदवारी रद्द करने की मांग

प्रमुख संवाददाता, नई दिल्ली
कांग्रेस ने दिल्ली से आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा कैंडिडेट नारायण दास गुप्ता का नॉमिनेशन कैंसल करने की मांग की है। पार्टी का आरोप है कि गुप्ता राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में ट्रस्टी हैं, जो लाभ का पद है। AAP ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि गुप्ता ट्रस्ट से इस्तीफा दे चुके हैं।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष अजय माकन ने गुप्ता के नामांकन को संविधान के आर्टिकल 102 के तहत रद्द करने की मांग की। उन्होंने कहा कि एन. डी. गुप्ता के राज्यसभा के नामांकन से यह साबित हो गया है कि आम आदमी पार्टी और बीजेपी में साठगांठ है। बीजेपी और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुप्ता को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का पद दिया और AAP ने राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है। माकन ने कहा अब दिल्लीवासी देखेंगे कि AAP के किसी भी भ्रष्ट नेता के खिलाफ आयकर विभाग की कार्रवाई नहीं हो पाएगी, क्योंकि आप पार्टी बीजेपी और मोदी के जीएसटी समर्थक एन.डी. गुप्ता को राज्यसभा भेज रही है।

माकन के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस के वकीलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने रिटर्निंग ऑफिसर, दरियागंज के समक्ष पेश होकर एन.डी. गुप्ता का नामांकन रद्द करने के लिए ज्ञापन दिया। उन्होंने बताया कि केंद्रीय चुनाव आयोग में भी इस बाबत शिकायत दर्ज कराई है। माकन ने यह कहा कि एन.डी. गुप्ता वर्तमान में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली ट्रस्ट के ट्रस्टी और एनपीए के बोर्ड ऑफ ऑडिट समिति के अध्यक्ष भी हैं। दोनों ही ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के दायरे में आते हैं। माकन ने कहा कि यह एक गंभीर मुद्दा है, क्योंकि जो भी सरकार के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का पद ग्रहण करता है, उसे चुनाव लड़ने से पहले पद से इस्तीफा देना चाहिए।

नामांकन से पहले दिया इस्तीफा: एन.डी.
एन.डी. गुप्ता ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि वह नामांकन भरने से पहले ही ट्रस्ट से इस्तीफा दे चुके हैं। उन्होंने रिटर्निंग ऑफिसर को भेजे जवाब में कहा है कि संसद के किसी भी शेड्यूल में नैशनल पेंशन सिस्टम ट्रस्ट के नाम का जिक्र नहीं है। साल 2006 में पार्लियामेंट (प्रिवेंशन आफ डिस्क्वालिफिकेशन ऐक्ट, 1959) में साल 2006 में संशोधन के चलते जो उक्त ट्रस्ट में ट्रस्टी होने को लेकर उन पर लाभ का पद हासिल करने के आरोप लगाए जा रहे हैं, वे निराधार हैं। गुप्ता के मुताबिक, उन्हें 20 मार्च 2015 में इस ट्रस्ट का ट्रस्टी नियुक्त किया गया था। नॉमिनेशन फाइल करने से पहले ही 20 दिसंबर 2017 को उन्होंने ट्रस्ट से इस्तीफा दे दिया था। इसीलिए उन्हें संसद की सदस्यता पाने के लिए नामांकन भरने से नहीं रोका जा सकता।

30 दिन का नोटिस जरूरी था: माकन
माकन ने कहा कि एनपीएस की वेबसाइट के मुताबिक केंद्र पर काबिज बीजेपी सरकार ने 30 मार्च 2015 को एन.डी. गुप्ता को 1,74,500 करोड़ की एनपीएस ट्रस्ट का ट्रस्टी अपॉइंट किया था। यह भारत सरकार का ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का पद है, क्योंकि ट्रस्टी सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। एनपीएस ट्रस्ट सभी सरकारी कर्मचारियों के पेंशन का प्रबंधन करता है। यदि यह ऑफिस ऑफ प्रॉफिट नहीं है, तो यह क्या है? माकन ने कहा कि गुप्ता को इस्तीफा देने से पहले 30 दिन का नोटिस देने की कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी चाहिए थी, जो नहीं की। माकन की ओर से यह भी दलील रखी गई कि गुप्ता ने रिटर्निंग आफिसर के सामने यह भी सबूत नहीं रखा कि उनका इस्तीफा एनपीएस ट्रस्ट ने कब मंजूर किया था?

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