ICAI ने मल्टिनैशनल ऑडिटिंग फर्म्स को जारी किए नोटिस, एफडीआई के नियमों के उल्लंघन का अंदेशा

सचिन दवे/विनोद महंत
इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने कई मल्टिनैशनल ऑडिटिंग कंपनियों की भारतीय ईकाइयों को नोटिस जारी किया है। इंस्टिट्यूट ने डेलॉइट, प्राइसवॉटरहाउसकूपर्स, अर्न्स्ट ऐंड यंग, केपीएमजी, ग्रैंट थॉर्नटन और बीडीओ जैसी फर्म्स से उनके कॉर्पोरेट स्ट्रक्चर, इन्वेस्टमेंट्स और रेवेन्यू के बारे में जानकारी मांगी है। मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक संस्थान इस बात की जानकारी कर रहा है कि क्या इन मल्टिनैशनल फर्म्स, इनकी भारतीय ईकाइयों और उनसे घरेलू तौर पर जुड़ी कंपनियों ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों का उल्लंघन किया है या नहीं।

इसके अलावा विदेशी कंपनियों से जुड़ी भारतीय फर्म्स को भी अलग से नोटिस जारी किए गए हैं। जैसे, नेक्सिया, क्रेस्टन, माजार्स, बेकर टिल्ली और आरएमएस। जिन 4 बड़ी कंपनियों को नोटिस जारी कर उनके कुल राजस्व, मुनाफे, इक्विटी स्ट्रक्चर और प्रति पार्टनर रेवेन्यू के बारे में जानकारी देने को कहा गया है, उनमें डेलॉइटे, पीडब्ल्यूसी, अर्न्स्ट ऐंड यंग और केपीएमजी शामिल हैं। आईसीएआई ने इन फर्म्स से इंटरनैशनल ब्रैंड नेम्स के इस्तेमाल, मल्टिनैशनल कंपनियों की ओर से इन्वेस्टमेंट और स्ट्रक्चर के बारे में जानकारी मांगी है।

यह नोटिस सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के तीन महीने बाद जारी किए गए हैं, जिसमें शीर्ष अदालत ने सरकार से कहा था कि उसे भारत में काम कर रही विदेशी ऑडिटिंग फर्म्स के कामकाज की निगरानी के लिए कमिटी बनानी चाहिए। यही नहीं सरकार अकाउंटेंट्स के नियमन के लिए अलग से एक संस्था बनाने पर भी विचार कर रही है, जिससे आईसीएआई के अधिकारों में भी कुछ कमी आएगी। आईसीएआई के प्रेजिडेंट नवीद गुप्ता ने इस संबंध में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया है। इसके अलावा डेलॉइट, पीडब्ल्यूसी, अर्न्स्ट ऐंड यंग, केपीएमजी, ग्रैंट थॉर्नटन और बीडीओ ने इस पर कोई प्रतिक्रिया देने से मना किया है।

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