CV में गड़बड़ी? लाइ डिटेक्टर टेस्ट के लिए रहें तैयार!

हैदराबाद, यू सुधाकर रेड्डी
अगर अपने रेज्यूमे में आपने गलत जानकारी दी है तो लाइ डिटेक्टर टेस्ट के लिए तैयार हो जाइए! कॉर्पोरेट के साथ छोटी कंपनियां भी कैंंडिडेट्स की गलत जानकारी का पता लगाने के लिए पॉलिग्राफ का सहारा लेने लगी हैं। लाइ डिटेक्टर टेस्ट का प्रयोग कर्मचारियों पर फंड्स में गड़बड़ी के आरोपों और संवेदनशील जानकारी के लीक होने के मामले में भी किया जाता है। ‘ट्रुथ लैब’ नाम के एक फरेंसिक लैब के मुताबिक यहां हर साल 20 से 30 ऐसे केस आते हैं।

ट्रुथ लैब के डायरेक्टर GVHV प्रासाद ने बताया, ‘पॉलिग्राफ टेस्ट केवल एक इन्वेस्टिगेटिंग टूल है। शहर में कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को भेजती हैं। वहीं कई बार कैंडिडेट्स को भी भर्ती की प्रक्रिया के दौरान भेजा जाता है। यूरोप के कई देशों में पॉलिग्राफ भर्ती प्रक्रिया का अहम हिस्सा है।’

प्रसाद ने कहा, ‘हमारे पास लाइ डिटेक्टर इक्विपमेंट्स हैं और देश के कई शहरों से एक्सपर्ट्स को बुलाते हैं। पसीना आना, हार्ट रेट, पल्स और ब्लड प्रेशर के मुताबिक तीन तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं। नियंत्रित, संबंधित और विषय से अलग सवालों का जवाब हां या नहीं में देना होता है। जब वे उत्तर देते हैं तो ग्राफ देखा जाता है।’

प्रसाद ने बताया, ‘लैब केवल कर्मचारियों के लिए काम करती है न कि पारिवारिक मामलों के लिए। हालांकि इस पर कोई कोर्ट का आदेश नहीं है। प्रत्येक पॉलिग्राफ टेस्ट पर 5,000 से 10,000 तक की लागत आती है। सिविल मामलों में भी जो लोग खुद को बेगुनाह साबित करना चाहते हैं, वे भी हमारे पास आते हैं।’

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