अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ के पहले गैर यूरोपीय अध्यक्ष बने नरिंदर बत्रा
|भारत के नरिंदर बत्रा अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ के पहले गैर यूरोपीय अध्यक्ष बन गए। उन्हें शनिवार को FIH की 45वीं कांग्रेस में बहुमत से शीर्ष पद के लिए चुन लिया गया। हॉकी इंडिया के अध्यक्ष बत्रा ने आयरलैंड के डेविड बालबर्नी और आस्ट्रेलिया के केन रीड को हराया। वह FIH के 12वें अध्यक्ष बने और संस्था के 92 साल के इतिहास में इस पद पर पहुंचने वाले पहले एशियाई हैं।
बत्रा को 68 वोट मिले जबकि बालबर्नी और रीड को क्रमश: 29 और 13 वोट मिले। कुल 118 वोटर्स में से 110 ने वोट डाला जबकि 8 ने इसमें भाग नहीं लिया। मतदान गुप्त तरीके से इलेक्ट्रॉनिक मतदान प्रक्रिया के जरिए हुआ। हर राष्ट्रीय संघ के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख को एक टेबलेट और एक यूनिक पासवर्ड दिया गया था। एशियाई हॉकी महासंघ के आधिकारिक उम्मीदवार बत्रा को एशियाई, अफ्रीकी और मध्य अमेरिकी देशों का पूरा समर्थन मिला।
बत्रा का 4 साल का कार्यकाल तुरंत शुरू होगा यानी उन्हें हॉकी इंडिया के अध्यक्ष का पद छोडना होगा। वह किसी ओलिंपिक खेल की अंतरराष्ट्रीय संस्थान के प्रमुख चुने जाने वाले पहले भारतीय हैं। बत्रा की जीत से अब हॉकी में सत्ता का केंद्र यूरोप की बजाय एशिया हो जाएगा। 59 बरस के बत्रा अक्टूबर 2014 में हॉकी इंडिया के अध्यक्ष बने थे। वह नेग्रे की जगह लेंगे जो 2008 से FIH अध्यक्ष हैं।
इसके साथ ही बत्रा विश्व महासंघ के अध्यक्ष बनने वाले चुनिंदा भारतीयों की जमात में शामिल हो गए हैं। क्रिकेट प्रशासक जगमोहन डालमिया, शरद पवार, एन. श्रीनिवासन और शशांक मनोहर आईसीसी में शीर्ष पर पर रहे हैं। एन रामचंद्रन विश्व स्क्वॉश महासंघ के अध्यक्ष हैं जबकि जनार्दन सिंह गहलोत अंतरराष्ट्रीय कबड्डी महासंघ के अध्यक्ष हैं। बत्रा अध्यक्ष बनने से पहले एफआईएच के कार्यकारी बोर्ड के भी सदस्य रहे।
बत्रा को भारतीय हॉकी में आमूलचूल बदलाव और प्रायोजन के जरिए पैसा लाने का श्रेय जाता है। उन्होंने अकेले दम पर भारत को विश्व हॉकी का केंद्र बना दिया और आईपीएल शैली में हॉकी इंडिया लीग शुरू करके भारतीय खिलाड़ियों को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनाया। रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले 6 साल में बत्रा के रहते हॉकी इंडिया की आय 5 लाख डॉलर से बढ़कर एक करोड़ 40 लाख डॉलर हो गई।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।